सोशल मीडिया पर दागा सवाल, हिंदू खिलाड़ी क्यों खाएं हलाल का मीट, कहा- इससे धर्मनिरपेक्षता पर असर पड़ेगा।

बोर्ड ने दी सफाई, फैसला इसलिए लिया ताकि ज्यादा चर्बी वाला मांस खाकर अपनी सेहत खराब न करें खिलाड़ी

कानपुर। भारत और न्यूजीलैंड के बीच पहला टेस्ट शुक्रवार से ग्रीन पार्क स्टेडियम में खेला जाएगा, लेकिन मैच से पहले ही टीम के खाने को लेकर बवाल हो गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीसीसीआई ने कहा है कि भारतीय खिलाड़ियों को सिर्फ हलाल का मीट ही परोसा जाए। इसको लेकर सोशल मीडिया पर बीसीसीआई की जमकर आलोचना हो रही है। टि्वटर पर #halalmeet ट्रेंड कर रहा है। लोगों का कहना है कि हिंदू खिलाड़ी क्यों खाएं हलाल का मीट। इससे धर्मनिरपेक्षता पर असर पड़ेगा।

भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने कानपुर टेस्ट से पहले भारतीय खिलाड़ियों का डाइट चार्ट होटल के साथ शेयर किया है, जिसमें हलाल मीट अनिवार्य है। यह डाइट चार्ट सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद बीसीसीआई को जमकर ट्रोल किया जा रहा है। कई फैंस ने इस मामले में नाराजगी जताई है। इस चार्ट में यह भी साफ किया गया है कि खिलाड़ियों को गाय और सुअर का मांस नहीं परोसा जाना चाहिए। इस चार्ट के जरिए बीसीसीआई खिलाड़ियों की फिटनेस बनाए रखना चाहता था, लेकिन हलाल शब्द के चलते वह फैंस के निशाने पर आ गया।

फैंस ने बीसीसीआई पर हलाल मीट का समर्थन करने का आरोप लगाया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीसीसीआई ने हलाल मीट को अनिवार्य करने के साथ गाय और सुअर के मांस पर पाबंदी लगाई है। बोर्ड ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि खिलाड़ी ज्यादा चर्बी वाला मांस खाकर अपनी सेहत न खराब करें और उन्हें मैच के दौरान परेशानी न हो।

क्या है हलाल मीट

हलाल में जानवर को आराम से मारा जाता है, ताकि उसका पूरा खून बह जाए। इसमें जानवर धीरे-धीरे मरता है। इस्लाम में यह प्रथा बहुत प्रचलित है और इस धर्म का पालन करने वाले लोग सिर्फ हलाल मीट ही खाते हैं। वहीं झटके से जानवर को मारने से उसकी रक्त कोशिकाओं में खून के थक्के रह जाते हैं।