– परिजनों की मांग दोषियों पर हो सख्त कार्रवाई

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही और घायल को समय पर इलाज नहीं मिलने से दीपावाली से पहले परिवार की खुशियां मातम में बदल गईं। एक्सीडेंट के केस को मेडीकल स्टाफ ने साधारण मानकर छोड़ दिया था। रात में हमीदिया के स्टाफ ने भी घायल को स्ट्रेचर पर रखकर रैनबसेरे में डाल दिया। करीब 12 घंटे तक घायल बीएलओ दर्द से तड़पते रहे।

सुबह जब परिजनों को उनकी जानकारी मिली, तो उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। घटना के सामने आने पर मृतक के परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। मृतक की पत्नी का कहना है कि रात में अगर समय पर इलाज मिल जाता, तो जान बच सकती थी। महिला ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

मामला 23 अक्टूबर की रात 10:30 बजे का बताया जा रहा है। बीएलओ भरतरी बाथम मोटर साइकिल से पुल बोगदा की तरफ जा रहे थे। इसी दौरान जिंसी चौराहे पर साइकिल चला रहे एक बच्चे को बचाने के दौरान उनकी बाइक स्लिप हो गई। घटना में उनके सिर पर गंभीर चोट आई और 108 एंबुलेंस उन्हें हमीदिया अस्पताल लेकर पहुंची। ओपीडी में पर्ची कटवाने के बाद डॉक्टरों ने साधारण केस मानकर उन्हें छोड़ दिया।

स्टाफ ने भी स्ट्रेचर पर रखकर उन्हें रैनबसेरे में छोड़ दिया। सुबह करीब 9:30 बजे परिजनों को हादसे की सूचना मिली। इसके बाद वह यहां-वहां देखते रहे। दोपहर करीब 12:30 बजे वह हमीदिया अस्पताल पहुंचे। परिजन उन्हें लेकर चिरायु अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां 26 अक्टूबर को उन्होंने दम तोड़ दिया। डाॅक्टरों की मानें तो बाथम को सिर पर गहरी चोट लगी थी, जिसके कारण उनकी मौत हुई है। 

घर वालों से संपर्क क्यों नहीं किया गया :
मामले में मृतक की पत्नी स्नेहलता बाथम ने हमीदिया के डॉक्टरों पर आरोप लगाया है कि यदि एक्सीडेंट का केस था तो डॉक्टरों ने उनका इलाज क्यों नहीं किया? साथ ही उनके पास सभी दस्तावेज, आईडी और घर का एड्रेस भी था तो उनके घर वालों से संपर्क क्यों नहीं किया गया? यदि डॉक्टर परिवार को समय पर जानकारी दे देते तो उनकी जान बच सकती थी। वहीं अस्पताल में भी सुबह कई बार उनके बारे में पूछा गया, लेकिन किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। ऐसे में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाना चाहिए, ताकि भविष्य में किसी के साथ ऐसा न हो।

जांच कराएंगे
मामले में हमारे पास शिकायत नहीं आई है। यदि परिजन शिकायत करते हैं, तो जांच कराएंगे।
लोकेंद्र दवे, अधीक्षक