मप्र उपचुनाव के नतीजे भाजपा और कांग्रेस की राजनीति के दिग्गज नेताओं का भविष्य तय करेंगे। दरअसल भाजपा और कांग्रेस ने इन सभी सीटों पर जीत दर्ज कराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन अभी से ही इन सीटों के नतीजे चौंका रहे हैं। सबसे बड़ा उलटफेर तो रैगांव सीट पर देखने को मिल रहा है। इस सीट पर भाजपा ने पूर्व मंत्री जुगुल किशोर बागरी के निधन के बाद उनके परिवार से किसी को टिकट न देकर प्रतिमा बागरी को नए चेहरे के रूप में मैदान में उतारा है। प्रतिमा को विधानसभा पहुंचाने के लिए सीएम सीएम शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने लगातार सभाएं की हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा के गढ़ में कांग्रेस ने सेंध लगाकर फिलहाल पूरे विंध्य में सनसनी फैला दी है।
खंडवा में कांग्रेस और भाजपा की इज्जत दांव पर
खंडवा में भाजपा और कांग्रेस ने जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वैसे यह लोकसभा सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है, लेकिन इस सीट से सांसद रहे नंदकुमार चौहान के निधन के बाद कांग्रेस इस सीट पर काफी सक्रिय हो गई थी। अरुण यादव तो इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय रहे। वहीं चुनाव के दौरान भाजपा की ओर से सीएम शिवराज सिंह चौहान ने खुद इस सीट पर बहुत मेहनत की है। वहीं भाजपा की ओर से लगातार कई मंत्री भी इस सीट पर मेहनत करते रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम कमलनाथ, अरुण यादव ने इस लोकसभा सीट पर कब्जा करने के लिए बहुत मेहनत की है।
नतीजों पर ही तय होगी आगे की रणनीति
इस उपचुनाव के नतीजाें से शिवराज सरकार को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं कर सकते हैं, लेकिन फिर भी इसके नतीजे दोनों पार्टियों की रणनीति को सीधे तौर पर प्रभावित करेगी। कहा जा रहा है कि सरकार रहते हुए यदि सीएम शिवराज इसके नतीजों को भाजपा के पक्ष में नहीं कर पाए तो मप्र की राजनीति में आगे की राह उनके लिए कुछ कठिन साबित हो सकती है। वहीं पूर्व सीएम कमलनाथ के लिए यह चुनाव जीतना अपने आगे की राह को साफ करने जैसा है। यदि इस उपचुनाव में वे बड़ा फेरबदल नहीं कर पाए तो नेता प्रतिपक्ष और प्रदेशाध्यक्ष जैसे पदों पर काबिज कमलनाथ के आगे की राह कुछ कठिन साबित हो सकती है।