Ram Navami Date 2023: हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। इसकी शुरुआत 22 मार्च से हो गई है। चैत्र नवरात्रि के 9 वें दिन रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है। नवमी तिथि के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की पूजा आराधना के बाद नवमी तिथि के दिन रामनवमी मनाई जाती है।
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमीं तिथि 30 मार्च को रामनवमी मनाई जाएगी। इस दिन पूरे देश में धूमधाम से राम जन्मोत्सव मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म राजा दशरथ के घर पर हुआ था। इस दिन प्रभु श्रीराम की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है।
रामनवमी 5 शुभ योग में मनाई जाएगी-
धार्मिक पुराणों के अनुसार चौत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान राम ने जन्म लिया था। इस बार रामनवमी 30 मार्च को 5 शुभ योग में मनाई जाएगी। रामनवमी पर इस बार गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और गुरु योग का संयोग है। राम नवमी के दिन इन पांचों योग के होने से श्रीराम की पूजा का शीघ्र फल मिलेगा।
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रामनवमी तिथि –
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि की शुरुआत 29 मार्च की रात 09 बजकर 07 मिनट से शुरू हो रही है। जिसका समापन 30 मार्च की रात 11 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल रामनवमी 30 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम का जन्मोत्सव पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है।
रामनवमी भगवान श्रीराम की पूजा विधि-
श्रीराम की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। रामनवमी के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीराम का केसरयुक्त दूध से अभिषेक कर श्रीराम चरित मानस का पाठ करें। समयाभाव में पूरा पाठ न कर सकें तो सुन्दकाण्ड का पारायण अवश्य करें। इससे घर में खुशहाली आती है। धन वैभव की वृद्धि होती है। रामनवमी के दिन एक कटोरी में गंगा जल रखकर उसके सामने रामरक्षा मंत्र ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं रामचन्द्राय श्री नम का जप 108 बार करें। इसके बाद जल को घर के हर कोने छत पर छिड़क दें। ऐसा करने से घर का वास्तु दोष समाप्त हो जाता है।
5 योगों का होगा संयोग-
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि रामनवमी पर इस बार गुरु पुष्य पुष्प योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और गुरु योग का संयोग है। राम नवमी के इन दिन इन 5 योग के होने से श्रीराम की पूजा करने से आपको शीघ्र फल की प्राप्ति होगी। साथ ही इस दिन किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। ज्योतिषों के अनुसार गुरु पुष्य योग और अमृत सिद्धि योग 30 मार्च को सुबह 10ः59 मिनट पर आरंभ होगा और 31 मार्च की सुबह 06ः13 मिनट तक रहेगा। वही गुरु योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग सूर्योदय के साथ शुरु होगा और सूर्यास्त तक रहेगा।
पूजा विधि-
रामनवमी के दिन जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहन लें। अपने घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। घर के मंदिर में देवी- देवताओं को स्नान कराने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र पहनाएं। भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर पर तुलसी का पत्ता और फूल अर्पित करें। भगवान को फल भी अर्पित करें। अगर आप व्रत कर सकते हैं, तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान को अपनी इच्छानुसार सात्विक चीजों का भोग लगाएं।
इस पावन दिन भगवान राम की आरती भी अवश्य करें। आप रामचरितमानस, रामायण, श्री राम स्तुति और रामरक्षास्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। भगवान के नाम का जप करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आप श्री राम जय राम जय जय राम या सिया राम जय राम जय जय राम का जप भी कर सकते हैं। राम नाम के जप में कोई विशेष नियम नहीं होता है, आप कहीं भी कभी भी राम नाम का जप कर सकते हैं। रामनवमी पर सुंदरकांड हनुमान चालीसा और संकट मोचन का पाठ अवश्य करें।
हवन सामग्रीः आम की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, नीम, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलैठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, पंचमेवा, जटाधारी नारियल, गोला और जौ आदि हवन में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री जुटाएं। हवन के बाद माता जी की आरती करें। इसके बाद माता को खीर, हलवा, पूड़ी और चने का भोग लगाएं। कन्याओं को भी भोजन कराएं। प्रसाद बांटें। उन्हें दक्षिणा भी दें।
राम नवमी का महत्व-
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि राम नवमी का दिन भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह दिन भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विष्णु जी के अवतार प्रभु श्री राम की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। भक्तों के जीवन से सभी कष्ट कट जाते हैं। इसके अलावा इस दिन नवरात्रि का समापन भी होता है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन को महानवमी कहते हैं। इस दिन पूजा अर्चना करने से राम जी के साथ आदिशक्ति मां जगदम्बा की कृपा भी प्राप्त होती है।