Rudraksha: आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे कि रुद्राक्ष क्या है, रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथा, रुद्राक्ष कब और कैंसे पहनें, रुद्राक्ष पहनने के नियम, रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान इत्यादि रुद्राक्ष की विभिन्न रहस्यमयी जानकारी के बारे में।
आजकल लोग रुद्राक्ष को फैशन का एक हिस्सा मान लिए है। जिसको भी देखो, गले से लेकर हाथ पांव सब जगह रुद्राक्ष पहनकर अपने को शिवभक्त सा मान रहे हैं। रुद्राक्ष साक्षात् भगवान शंकर ही हैं।
शिवपुराण में रुद्राक्ष धराण करने की विधि और उसके नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है। कहते हैं कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। और भगवान शिव की बेहद प्रिय चीज में से एक है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष को विधिपूर्वक धारण करता है, उसके शरीर से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
जरा देवों के देव महादेव भगवान शंकर इतनी आसानी से और इस फैशन के साथ धारण करना उचित है। कदापि नहीं, ऐंसी स्थिति में रुद्राक्ष पहनने से भारी भरकम नुकसान भी हो सकते हैं। रुद्राक्ष पहनने के बहुत सारे फायदे (लाभ) हैं। वहीं गलत रूप से पहना गया रुद्राक्ष भयंकर नुकसान का कारण भी बन सकता है। आइये, जानते हैं- रुद्राक्ष की पूरी कहानी व जानकारी एवं रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान।
रुद्राक्ष साक्षात् शिव ही है-
धर्म ग्रन्थ के अनुसार रुद्राक्ष साक्षात् आदिदेव महादेव प्रलयकर्ता भगवान शंकर का अंश है। दूसरे शब्दों में कहें तो रुद्राक्ष साक्षात् शिव ही है। रुद्राक्ष शब्द प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा रचित, देवों की वाणी संस्कृत भाषा का एक दिव्य शब्द है।
रुद्ऱअक्षः इन दो शब्दों से मिलकर रुद्राक्ष बनता है। रुद्र का मतलब होता है- भगवान शंकर और अक्ष का मतलब- नेत्र होता है। इस प्रकार रुद्राक्ष का अर्थ होता- भगवान शंकर का नेत्र। रुद्राक्ष भगवान शंकर का साक्षात् तीसरा नेत्र है।
अतः रुद्राक्ष को धारण करने से पहले बहुत सारी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। आपको रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान एवं रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम भी अवश्य जानने चाहिए।
रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथा-
एक समय की बात है। राजा दक्ष के यज्ञ में उनकी पुत्री (माँ) सती ने अपनी देह भस्म कर दी थी। सती माता के भस्म हो जाने पर तीनों लोकों के स्वामी भगवान शंकर दुःख के महासागर में डूब गये और सती का मृत शरीर चारों ओर घुमाने लगे।
सती ही शक्ति है और शक्ति ही शिव है। शक्ति के बिना शिव- शव के समान है। अतः इस घटना के परिणामस्वरूप बाद में भगवान शंकर अत्यंत दुःख की अवस्था में जाकर विरक्त हो गये और घोर समाधि में बैठ गये। भगवान शिव अनन्त काल तक समाधि में रहने के बाद संसार पर एक बहुत बड़ी विपत्ति आ गयी। एक समय त्रिपुरासुर के हाहाकार से तीनों लोक भयभीत हो गये थे। त्रिपुरासुर को मारने का कोई उपाय नहीं था।
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तब प्रजापिता ब्रह्मदेव व जगत्पालक श्रीहरि भगवान विष्णु सहित सभी देवता भगवान शंकर के पास गये। सभी का कल्याण करने वाले भूतनाथ आदिदेव महादेव भोलेनाथ शंकर अनन्त काल से अपनी समाधि में लीन थे। देवताओं ने भगवान शंकर की बहुत स्तुति की।
इस प्रकार भगवान शंकर अपनी समाधि से जाग गये व अपनी आदि शक्ति सती के पूर्व स्मरण में आँख खोलते ही भगवान शंकर के नेत्र से आँसू टपकने लगे। ये आँसू जहाँ जहाँ गिरे, तत्काल उन जगहों पर रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन हो गये। भगवान शंकर की आँखों के आंसू के कारण इन वृक्षों का नाम रुद्राक्ष पड़ गया।
रुद्राक्ष वास्तव में भगवान शंकर का साक्षात् प्रतिरूप है। यह भगवान शंकर का तीसरा नेत्र है। धरती लोक पर ये रुद्राक्ष वरदान के रूप में अमर हो गये। रुद्राक्ष के दाने धारण कर व रुद्राक्ष की माला पहनकर भगवान शिव अनन्त की कृपा होती है।
(Rudraksha ) रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान-
रुद्राक्ष पहनना साक्षात् भगवान शिव को धारण करने जैंसा है। अतः रुद्राक्ष पहनने से पहले व पहनने के बाद कुछ विशेष नियमों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। विज्ञान भी रुद्राक्ष की चमत्कारिता को स्वीकार करता है।
रुद्राक्ष पहनने से भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। कुण्डली के दोष दूर होते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक का होता है। अलग अलग रुद्राक्ष अलग अलग कामनाओं की पूर्ति करता है। जैंसे कि
12 मुखी रुद्राक्ष- धन प्राप्ति के लिए
1 मुखी रुद्राक्ष- सुख व मोक्ष प्राप्ति हेतु
3 मुखी रुद्राक्ष- ऐश्वर्य प्राप्ति हेतु
इस प्रकार इन चौदह मुखी रुद्राक्षों में हर एक रुद्राक्ष का अपना अलग महत्व है। रुद्राक्ष पहनने के बहुत सारे फायदे हैं लेकिन यही रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन में महान संकट भी ला सकता है। यदि इसे नियमपूर्वक न पहना जाए।
रुद्राक्ष पहनने वाले को मदिरा पान, शराब, मीट मांस आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। यह बात स्वयं भगवान शंकर ने देवताओं को बताई।
रुद्राक्ष पहनने के फायदे-
दिमाग शान्त होता है।
तनाव को दूर करता है।
मानसिक बीमारी दूर होती है।
वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है।
जीवन में प्रेम बढने लगता है।
मष्तिष्क पर नियंत्रण होता है।
रुद्राक्ष पहनने के नुकसान-
एक ओर रुद्राक्ष पहनने से जहां अनेकों फायदे होते हैं। वहीं दूसरी ओर रुद्राक्ष पहनने से बहुत सारे नुकसान भी हो सकते हैं। नुकसान के बहुत सारे कारण हैं।
रुद्राक्ष को सही विधि से धारण न करना, रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियमों का पालन न करना, अपने अनुसार गलत मुखी रुद्राक्ष धारण कर देना आदि।
रुद्राक्ष पहनते वक्त एवं पहनने के बाद इसके नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। अन्यथा रुद्राक्ष पहनने के नुकसान हो सकते हैं। गलत विधि से रुद्राक्ष पहनने के निम्न नुकसान हो सकते हैं।
बिना नियमपूर्वक पहना गया रुद्राक्ष मन को अस्थिरता देता है।
रुद्राक्ष पहनने के बाद नियम पालन न करने से यह व्यक्ति को पथभ्रष्ट कर देता है।
शराब व मांस का सेवन करने से रुद्राक्ष का बुरा असर पड़ता है।
रुद्राक्ष पहनने के नियम-
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
मीट मांस का सेवन न करें।
रुद्राक्ष को गंदे हाथों से स्पर्श न करें।
27 मनकों से कम रुद्राक्ष माला न पहनें।
काले धागे में रुद्राक्ष न पहनें।
पीरियड में स्त्री रुद्राक्ष न पहने।
सोमवार को ही रुद्राक्ष धारण करें।