नई दिल्ली: मारुति के उन ग्राहकों को ये खबर झटका देने वाली साबित हो सकती है, जो आने वाले दिनों में कंपनी की कार खरीदने का मन बना रहे हैं। खबर है कि मारुति की गाड़ियों पर वेटिंग पीरियड की सीमा कई गुना ज्यादा बढ़ने वाली है। इसके लिए ग्लोबल सेमीकंडक्टर चिप संकट जिम्मेदार है।
बता दें कि देश की सबसे बड़ी कार निर्माता के पास वर्तमान में लगभग 2.5 लाख यूनिट का ऑर्डर लंबित है, जबकि नवंबर में इसका उत्पादन सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक था। जबकि नए वाहनों की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन डिमांड-सप्लाई के बीच अभी भी तालमेल नहीं बैठ पा रहा है।
मारुति सुजुकी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (सेल्स एंड मार्केटिंग) शशांक श्रीवास्तव ने एक बयान जारी कर कहा, “बुकिंग से पता चलता है कि पूछताछ और बुकिंग दोनों के मामले में मांग काफी मजबूत बनी हुई है, लेकिन अब उपलब्धता एक मुद्दा है और प्रतीक्षा अवधि बढ़ गई है।”
हाल ही में कंपनी मारुति-सुज़ुकी (Maruti Suzuki) ने अपनी कारों की कीमतों में इज़ाफ़ा करने की भी घोषणा की है। कंपनी ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि पिछले एक साल में, विभिन्न इनपुट लागतों में वृद्धि के कारण उसके वाहनों की लागत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। मारुति सुजुकी ने आगे कहा, “इसलिए, कंपनी के लिए लागत में बढ़ोतरी का कुछ प्रभाव ग्राहकों पर डालना अनिवार्य हो गया है।”
हालांकि अभी तक ऑटोमेकर ये जानकारी सार्वजनिक नहीं की है कि उसकी कौनसी कार की कीमतों में कितनी बढ़ोतरी होगी। लेकिन ये स्पष्ट कर दिया गया है कि विभिन्न कारों की कीमतों में होने वाली वृद्धि भी अलग-अलग होगी।
यह पहली बार नहीं है, जब मारुति सुजुकी ने 2021 में अपनी कारों के दाम बढ़ाए हैं। इस साल की शुरुआत से ही, भारत में सबसे बड़ी कार निर्माता ने कच्चे माल की लागत में वृद्धि और उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण अपनी कारों की कीमतों में कई बार बढ़ोतरी की घोषणा की।
इससे पहले इस साल सितंबर में भी मारुति सुजुकी ने अपनी कारों की कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा की थी। तब कार निर्माता ने अपने चुनिंदा मॉडलों की कीमतों में 1.9 प्रतिशत की वृद्धि की, जो 6 सितंबर, 2021 से प्रभावी हो गई। मूल्य वृद्धि मॉडल के आधार पर ₹1,000 से लेकर ₹22,500 तक थी।
ऑटो इंडस्ट्री को पिछले कई महीनों से कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों में प्रमुख सेमीकंडक्टर चिप की कमी है जो ऑटो उद्योग को बहुत विपरीत प्रभाव डाल रही है। इसके साथ ही कच्चे माल की बढ़ती कीमतों, कंटेनरों की अनुपलब्धता और उच्च शिपिंग दरों के संदर्भ में लॉजिस्टिक्स को लेकर अनिश्चितता भी उद्योग को प्रभावित कर रही है।
स्टील और मैग्नीशियम जैसे प्रमुख कच्चे माल की उपलब्धता की कमी भी उद्योग को प्रमुख रूप से प्रभावित कर रही है।