आज के समय में सभी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। वहीं हम में से कई लोग ऐसे होते हैं जो उस समय का काफी बेसब्र से इंतजार करते हैं जब मोबाइल फोन चार्ज में लगा होता है और हमें फोन यूज करना होता है। ऐसा होता है कि स्मार्टफोन के बिना कुछ देर रहने में ही हालत खराब होने लगती है। आज के समय में सभी की जिंदगी फोन के बिना अधूरी है या ऐसा भी कहा जा सकता है कि स्मार्टफोन हमारी जिंदगी है। ऐसे में मोबाइल फोन पास ना होने से चिंता होना स्वाभाविक है। बता दें ये एक गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है।
ज्यादा फोन का इस्तेमाल करना लोगों के लिए अब आम बात हो गई है। लेकिन इससे लोगों को काफी नुकसान करना पड़ सकता है। इससे नोमोफोबिया नाम की दिमागी बीमारी आपको काफी परेशान कर सकती है और साथ ही आपकी जिंदगी भी प्रभावित कर सकती है। आखिर क्या है ये नोमोफोबिया? आइए जानते हैं
नोमोफोबिया एक ऐसी गंभीर बिमारी है जो कि युवाओं को अपनी चपेट में इस कदर ले सकती है जिसका अंदाजा आप लगा भी नहीं सकते हैं। मेडिकल साइंस में किसी चीज से संबंधित ऐसे डर या एंग्जायटी को फोबिया कहा गया है, जिसके कारण आपके दैनिक जीवन में बाधा आने लगती हो। एक रिपोर्ट के अनुसार स्टैटिस्टिकल मैन्युअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर (DSM-5) के नये संस्करण में नोमोफोबिया को सूचीबद्ध नहीं किया गया है, क्योंकि मेंटल एक्सपर्ट्स को अभी भी इस समस्या के बारे में विस्तार से अध्ययन करना बाकी है। फोन से दूर जाने के डर से लोगों को एंग्जायटी के साथ-साथ, सांस लेने में समस्या, पसीना आना, कांपना, घबराहट होना, किसी भी काम में ध्यान ना लगा पाना, तेज धड़कन, आदि की समसयाएं हो सकती हैं।
बता दें नोमोफोबिया होने के बाद किसी भी इंसान को मोबाइल से थोड़ी समय भी दूर रहने पर चिंता, डर आदि का गंभीर एहसास होना शुरू हो जाता है। जिसके चलते उसका पूरा जीवन प्रभावित हो सकता है। आसान भाषा में इस मनोवैज्ञानिक समस्या को ‘मोबाइल की लत’ का गंभीर रूप भी कहा जा सकता है। नोमोफोबिया के काफी तरह के लक्षण पाए जाते हैं जैसे हर समय अपने पास मोबाइल फोन रखना, कहीं भी जाओ फोन साथ ही रहे। हर दो मिनट में मोबाइल फोन चेक करना कि कोई नोटिफिकेशन चेक करना।