बाबासाहेब पुरंदरे के निधन से नाटक की दुनिया का एक युग समाप्त हो गया है। उन्होंने शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित नाटक जाणता राजा का निर्माण और निर्देशन कर शिवाजी को आम लोगों तक पहुंचाने का काम किया था। जाने माने लेखक, निर्देशक और पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे यानी बाबासाहेब पुरंदरे का सोमवार तड़के पुणे में निधन हो गया, वे 99 साल के थे। कुछ दिनों से वे पुणे के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। पुरंदरे को महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के हेल्थ डायरेक्टर डॉ. धनंजय केलकर ने बताया कि बाबासाहेब को और कोई गंभीर बीमारी नहीं, बल्कि आयु से संबंधित बीमारियां थीं। उन्होंने आज सुबह लगभग 05:00 बजे आखिरी सांस ली। अस्पताल के सूत्रों ने बताया है कि उन्हें निमोनिया भी हुआ था। उनके पार्थिव शरीर को पार्वती स्थित उनके आवास पर कुछ देर रखने के बाद पुणे स्थित वैकुंठ धाम ले जाया गया है। दोपहर में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे भी उन्हें श्रध्दांजलि देने उनके आवास पर पहुंचे थे।

छत्रपति को घर पहुंचाने का श्रेय
बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे याने बाबासाहब पुरंदरे का जन्म 29 जुलाई 1922 को हुआ था। उन्हें महाराष्ट्र में शिवशहर के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि बाबासाहेब ने महान नाटक जाणता राजा (जनता का राजा) के माध्यम से छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास को घर-घर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस महानतम नाटक न केवल महाराष्ट्र के बल्कि आंध्र प्रदेश, गोवा और देश के अन्य हिस्सों में भी प्रसिद्धी पाई।

इतिहास लेखन और शोध के लिए समर्पित किया जीवन
बाबासाहेब पुरंदरे ने अपना जीवन इतिहास लेखन और शोध के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज पर कई किताबें लिखी हैं, उन्हें 2019 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण और 2015 में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। उन्होंने न केवल शिवराय (छत्रपति) का इतिहास लिखा। बल्कि पेशवाओं के इतिहास को भी दुनिया के सामने रखा। बताया जाता है कि बाबासाहेब पुरंदरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीब माने जाते थे।

सार्वजनिक कार्यक्रमों से बना ली थी दूरी
बाबासाहेब ने अपनी बढ़ती अवस्था के कारण काफी समय पहले से ही सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाना-आना बंद कर दिया था। जब उन्होंने 99 साल की उम्र पूरी की तब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे भी उनसे मिलने आए थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने किया दुख व्यक्त


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर उनके साथ अपनी एक तस्वीर ट्वीट करते हुए कहा, सुनकर बहुत दुख हुआ। शिवशहर बाबासाहेब पुरंदरे का निधन इतिहास और संस्कृति की दुनिया में एक बड़ा शून्य छोड़ गया है। उन्हीं की बदौलत आने वाली पीढ़ियां छत्रपति शिवाजी महाराज का जानेंगी और उनके कार्यों को भी याद किया जाएगा।बाबासाहेब के निधन पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवशहर बाबासाहेब पुरंदरे का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार करने के निर्देश दिए हैं।