पटना। बिहार के मखाना को जल्द ही वैश्विक पहचान मिल सकती है। इस संबंध में अब GI टैग मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि मखाना की खेती को बढ़ावा देने को लेकर सरकार दृढ़संकल्पित है।
उन्होंने कहा कि सरकार इस ओर तकनीक विकसित करने तथा इसके लिए बाजार उपलब्ध करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि मखाना न केवल मिथिलांचल की बल्कि बिहार की पहचान है।
बताया जाता है कि पिछले दिनों केंद्र सरकार के सेंट्रल कंसल्टेटिंग ग्रुप के साथ पटना में आयोजित बैठक में सभी बाधाएं दूर कर ली गयी है। बताया जाता है कि मखाना को ‘बिहार का मखाना’ के रूप में पूरी दुनिया में पहचान मिल जाएगी।
उल्लेखनीय है कि जीआई टैग पाने वाला मखाना राज्य का पांचवा कृषि उत्पाद होगा। इससे पहले शाही लीची, जर्दालु आम, मगही पान और कतरनी चावल को जीआई टैग मिल चुका है। कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बिहार में छह हजार टन मखाने का उत्पदान होता है।
राज्य में जलीय उद्यानिक फसल में आने वाले मखाना की खेती दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, सुपौल, अररिया, किशनगंज आदि जिलों में की जा रही है। विश्व में कुल मखाना उत्पादन में 85 से 90 फीसदी हिस्सेदारी बिहार की है।