नई दिल्ली। 23 नवंबर को किताब के जरिये कांग्रेस पर 26/11 मामले में नरम रुख अपनाने का कहने वाले पार्टी के सांसद मनीष तिवारी ने 9 दिन बाद सफाई दी है। तिवारी ने गुरुवार को बताया कि मैंने अपनी किताब में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि देश की सुरक्षा के मसलों पर डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार किसी भी मामले में नरम या कमजोर थी।
तिवारी ने गुरुवार को एनडीटीवी से कहा कि अगर आप किताब के उस पूरे पैरा को पढ़ें जिसमें यह कहीं नहीं लिखा गया है कि सरकार सुरक्षा के मामले में नरम या कमजोर थी। चूंकि पाकिस्तान की सरकार में सेना का दखल है, इसे देखते हुए ऐसे किसी भी मामले में भारत ने हमेशा से कूटनीतिक तौर पर संयम बरता है।
भारत की इसी कूटनीतिक समझ को पाकिस्तान ने सदा कमजोरी समझा है। 26/11 के संदर्भ में मेरी किताब में लिखी पूरी बात भी इसी नजरिए से थी।
तिवारी ने आगे बताया कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के व्यवहार में कोई बदलाव आया हो या फिर उसने अपनी कारगुजारियों पर कभी चिंता जताई हो। उरी के बाद पुलवामा में हुआ आतंकी हमला इसका उदाहरण है।
किताब में लिखा पाकिस्तान पर होनी चाहिए थी सख्त कार्रवाई
किताब में तिवारी ने लिखा है कि मुंबई हमले के बाद सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी। ये ऐसा समय था, जब एक्शन बिल्कुल जरूरी था। एक देश (पाकिस्तान) निर्दोष लोगों का कत्लेआम करता है और उसे इसका कोई पछतावा नहीं होता। इसके बाद भी हम संयम बरतते हैं तो यह ताकत नहीं बल्कि कमजोरी की निशानी है। तिवारी ने 26/11 हमले की तुलना अमेरिका के 9/11 हमले से की है।
पाकिस्तान पर एक्शन न लेना बताया था कमजोरी
23 नवंबर को कांग्रेस सांसद ने अपनी किताब में मनमोहन सिंह की सरकार पर सवाल खड़े किए थे। तिवारी ने मुंबई में हुए 26/11 हमले के बाद पाकिस्तान पर किसी तरह का एक्शन न लेने को तब की मनमोहन सिंह सरकार की कमजोरी बताया था।