भोपाल। हज यात्रा 2023 के लिए ऑनलाइन आवेदन का सिलसिला शुरू हो गया है। 10 मार्च तक किए जाने वाले आवेदन के दौरान अब हाजियों को कोई शुल्क नहीं देना होगा। नई हज नीति के मुताबिक अब उन्हीं आवेदकों को शुल्क जमा करना है, जिनका नाम कुर्रा में आएगा। मप्र राज्य हज कमेटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सैयद शाकिर अली जाफरी ने बताया कि सेंट्रल हज कमेटी ने हज आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
हज पर जाने के इच्छुक आवेदक को फार्म भरने के लिए हज कमेटी की वेबसाइट www.hajcommittee.gov.in पर जाना होगा। उन्होंने बताया कि आवेदकों को फार्म के साथ पासपोर्ट का पहला पेज यानि जिसमें नाम और फोटो होता है, पासपोर्ट का आखरी पेज जिसमें पता होता है, व्हाइट बेक ग्राउंड वाला फोटो जिसमें दोनों कान नज़र आते हों, चेक या बैंक की पास बुक का फोटो ( ग्रुप में किसी एक का हो तो भी चलेगा ), आधार कार्ड, PAN कार्ड (अगर जाने वाले का खुद का न हो तो शौहर या बीबी या मां–बाप या बेटा–बेटी का भी चल जाएगा), वेक्सिनेशन कार्ड ब्लड ग्रुप आदि दस्तावेज साथ लगाना होंगे। उन्होंने बताया कि हज आवेदकों की मदद के लिए हज हाउस में हेल्प डेस्क भी शुरू की जाएंगी।
सऊदी रियाल की सुविधा यथावत रखने की मांग
हज कमेटी के माध्यम से हज पर जाने वाले यात्रियों को प्रस्थान के वक्त एयरपोर्ट के भीतर मिलने वाली फॉरेन एक्सचेंज (सऊदी रियाल) की रकम को यथावत रखने की मांग ऑल इण्डिया हज वेलफेयर सोसायटी ने भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय से की है। उल्लेखनीय है कि प्रति हज यात्री को 2100/- सऊदी रियाल अब तक दिए जाते रहे हैं।
मोहम्मद तौफीक ने बताया कि हज कमेटी के माध्यम से जाने वाले हज यात्रियों को अपनी कुल रकम में फॉरेन एक्सचेंज की रकम भी मिलाकर हज कमेटी को जमा कराना होती है। हज यात्रियों को यह रकम हज पर रवाना होने से पहले एयरपोर्ट के भीतर बने काउंटर से दे दी जाती है। विगत कई वर्षों से यह व्यवस्था है और इससे हज यात्रियों को सुविधा होती है। नई हज पॉलिसी में फॉरेन एक्सचेंज की रकम दिए जाने की प्रथा खत्म करने की खबरें सामने आ रही हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह हज यात्रियों के लिये दुविधाजनक होगा।
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राष्ट्रीय महासचिव सैय्यद रियाज़ ने बताया कि यह रियाल हज यात्रियों को सऊदी में खर्च के लिये मिलते हैं। ताकि वहाँ जाकर वे करंसी बदलवाने के चक्कर मे पड़ अपना समय ना गवाएं। साथ ही बहुत से हज यात्री ग्रामीण क्षेत्रों से भी जाते हैं, जिन्हें करंसी की कोई जानकारी नहीं होती। हज कमेटी का सऊदी रियाल देने का नियम काफी कारगर साबित होता रहा है। यही नहीं प्राइवेट टूर्स के माध्यम से हज पर जाने वाले यात्रियों को भी भारतीय मुद्रा के बदले सऊदी रियाल, टूर ऑपरेटर्स उपलब्ध कराने लगे हैं। ऑल इंडिया हज वेलफेयर सोसायटी ने केंद्रीय हज कमेटी से भी इस व्यवस्था को बरकरार रखने की मांग की है।