बुधवार को तमिलनाडु के शंकरपुरम में पटाखे की दुकान में आग लगने से हुई 6 लोगों की मौत के मामले में राजधानी भोपाल ने अब तक कोई सबक नहीं लिया है। शंकरपुरम में हुए हादसे में कई लोग गंभीर रूप से झुलसे भी हैं। घटना के बाद राजधानी के हलालपुर स्थित स्थाई पटाखा बाजार की जानकारी लेने पर पता चला कि यहां भी सुरक्षा के मापदंडों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। उल्लेखनीय है की राजधानी भोपाल के हलालपुर में सबसे बड़ा पटाखा बाजार लगता है और यहां पटाखों की थोक दुकानों में भारी तादात में पटाखे रखे होते हैं।
अभी दीपावली को एक सप्ताह बाकी है, लेकिन पटाखों की बिक्री अपने शबाब पर है और यहां 15-16 दुकानों में 10 करोड़ से अधिक के पटाखे रखे हैं। लेकिन सुरक्षा मापदंडों को लेकर यहां भारी लापरवाही दिखाई दे रही है। यहां दुकानों के आसपास पटाखों की कई पेटियां और कार्टून रखे देखे हैं। इसके अलावा यहां की कई दुकानें गोदाम की तरह उपयोग की जा रही हैं।
रेत और पानी की कुछ बाल्टियों पर सुरक्षा की जिम्मेदारी
सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा तो आने-जाने के अलग-अलग रास्ते नहीं होना है जबकि पटाखा बाजार में चारों तरफ से कई रास्ते होना चाहिए, ताकि कोई घटना होने पर लोगों को सुरक्षित बार निकलने के लिए रास्ता मिल जाए। सुरक्षा के नाम पर केवल यहां रेत और पानी से भरीं कुछ बाल्टियां रखीं हैं, वह भी बाजार की इक्का-दुक्का दुकानदारों ने रखी हैं। कुछ दुकानों में अग्निशमन यंत्र मौजूद हैं, लेकिन इनके सहारे किसी आग की घटना पर काबू नहीं पाया जा सकता।
भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बुधवार को पटाखा व्यापारियों और निगरानी करने वाली सरकारी एजेंसियों की बैठक में व्यापारियों को हिदायत दी है कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। कलेक्टर ने कहा जांच में यदि गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई करेंगे। निगरानी के लिए बिजली कंपनी, पीसीबी, पुलिस और प्रशासन की टीमों की ड्यूटी लगाई जाएगी। मार्केट में चाइनीज और देवी-देवताओं और भगवान के नाम वाले पटाखे नहीं होना चाहिए। करीब 600 दुकानदारों को रिटेल दुकानें लगाने के आदेश जारी किए हैं।
यह सब होना चाहिए
1. रहवासी इलाकों से दूर हों दुकानें।
2. पार्किंग के लिए बाजार से दूर व्यवस्था की जानी चाहिए।
3. हर पटाखे की दुकान के बीच 15 मीटर की दूरी होनी चाहिए।
4. 20 मीटर के दायरे में पानी के ड्रम मौजूद होना चाहिए।