भोपाल। चुनावी साल में जहां सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने युवाओं के लिए योजनाओं के द्वार खोल दिए हैं, वहीं विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सत्ता की सीढ़ी चढ़ने के लिए युवाओं पर ही लक्ष्य साध रखा है। दोनों दलों की कोशिशों के बाद युवाओं ने अपने भविष्य की बेहतरी की उम्मीदें इन सियासी कवायदों की तरफ मोड़ दी हैं।

कांग्रेस और बीजेपी दोनों को समझ में आ गया है कि जिसके साथ यूथ है, उसके साथ जीत है। अब दोनों दलों को चुनावी साल में युवाओं की याद आई है। इस मामले में दोनों ने अपना अपना दांव खेल लिया है। ताज्जुब है कि 19 साल सत्ता में रही बीजेपी युवा वोटर्स को अपना बनाने की जी तोड़ कोशिश कर रही है, लेकिन बेरोजगारी का मुद्दा बीजेपी के इरादों पर पलीता लगा रहा है। रोजगार के लिए की गई ढेरों योजनाएं भी युवाओं की नाराजगी को कम करने में बेमानी ही साबित होती दिख रही हैं।

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चुनाव से पहले मध्यप्रदेश की वोटर लिस्ट और लंबी हो गई है। इसकी वजह हैं, वो युवा वोटर्स जो इस चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों की ही नजर पहली बार वोट डालने वाले इन वोटर्स पर टिकी है। 18 से 39 साल के वोटर्स को युवा वोटर्स की कैटेगरी में रखा गया है, जो कुल मतदाताओं का 52 फीसदी हिस्सा हैं। 35 लाख के करीब नए युवा मतदाताओं के जुड़ने की भी संभावना है। इस बड़ी संख्या को देखते हुए बीजेपी युवा वोटर्स को जोड़ने की पूरी तैयारी में है। जिसके चलते युवा नीति लागू करने से लेकर उनके लिए यूथ प्रोफेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम और इंटर्नशिप जैसे प्रोग्राम शुरू किए गए हैं। उम्मीद की जा रही है युवाओं के लिए सरकार की ये चिंता आने वाले विधानसभा चुनाव में सरकार के पक्ष में जाएगा।