भोपाल। होली, रंग पंचमी और शनिवार रविवार की छुट्टियों के बाद सोमवार को विधानसभा का बजट सत्र पुनः शुरू हो गया। इस बीच सदन में बीबीसी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लहराता रहा। दूसरी तरफ सत्र से निलंबित किए गए कांग्रेस के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी की सत्र वापसी का मामला भी गरमाया रहा।
मध्य प्रदेश विधानसभा में बीबीसी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव का अशासकीय संकल्प पत्र पेश किया गया और उसे बहुमत से पारित भी कर दिया गया है। विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान बीजेपी विधायक शैलेंद्र जैन द्वारा इसे पेश किया गया और कहा गया कि बीबीसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र का गला घोंटने वाला कृत्य बताया है।
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर अशासकीय संकल्प स्वीकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित BBC की डॉक्यूमेंट्री पर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक से दो बीबीसी ने दो भाग में डॉक्यूमेंट्री सीरीज बनाई है जो साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों पर आधारित है। भारत में इसकी स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी गई है। इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर काफी विवाद हुआ, जहां कई लोगों ने इसे लेकर बीबीसी की आलोचना की वहीं कई लोग इसके प्रतिबंध के खिलाफ भी सामने आए। इसके बैन को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दाखिल की गई।
बीबीसी की इसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर सोमवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में अशासकीय संकल्प स्वीकार किया गया। इसे लेकर सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनियाभर में वैभवशाली गौरवशाली राष्ट्र के रूप में उभरा है। ऐसे में बीबीसी द्वारा किया गया कृत्य भारत की छवि धूमिक करने का कुत्सित प्रयास है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि विधानसभा में इसे बहुमत से पारित कर दिया गया है।
कांग्रेस ने की आलोचना
वहीं, कांग्रेस ने इसकी कड़ी आलोचना की है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि ‘सदन में बीजेपी ने प्रजातंत्र का गला घोंटने का काम किया है। प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया बीबीसी जिसकी पूरे विश्व में सम्मान से सुनी जाती है, उसके खिलाफ पत्रकारिता को दबाने का काम किया गया है और सदन में बहुमत के दम पर अपना प्रस्ताव कराया है, इसकी मैं निंदा करता हूं।’ उन्होने कहा कि भारतीय जनता पार्टी धीरे धीरे देश में प्रजातांत्रिक संस्थाओं को समाप्त करने का काम करके अपनी तानाशाही प्रवृत्ति को उजागर कर रही है।
जीतू पटवारी के निलंबन से कांग्रेस नाराज
सोमवार को सदन में जीतू पटवारी के निलंबन वापसी को लेकर कयासबाजी चलती रही। दरअसल बजट सत्र के 5वें दिन कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को स्पीकर ने बजट सत्र की बाकी अवधि के लिए निलंबित कर दिया था। इस पर कांग्रेस ने हंगामा किया था। इसके बाद सत्र 13 मार्च की सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।
क्या हुआ था पटवारी के मामले में
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी पर परोक्ष रूप से की गई टिप्पणी को अमर्यादित मानते हुए विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को पूरे बजट सत्र से निलंबित कर दिया था। पटवारी के निलंबन का प्रस्ताव संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने रखा था। इस पर मौखिक वोटिंग कराकर फैसला हुआ।
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ऐसे चला घटनाक्रम
- राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलते समय पटवारी ने सीधी बस हादसे के वक्त मुख्यमंत्री के रीवा, जबलपुर, फिर रीवा-सीधी आने-जाने का जिक्र किया। उन्होंने बंदर की कहानी सुनाई। बंदर को राजा बताते हुए पेड़ पर उछल-कूद करने की बात कही। फिर दूध का उत्पादन घटने पर सीएम की पत्नी पर परोक्ष टिप्पणी की।
- पटवारी ने जामनगर (गुजरात) में बन रहे अंबानी के जू में इंदौर जू के बाघ, शेर देने का मामला उठाया। इतना बोलते ही नरोत्तम और पटवारी आमने-सामने आ गए। इस कथन को झूठा बताकर नरोत्तम कागज पटल पर रखने के लिए अड़ गए। विपक्ष को जवाब देने के लिए 5 मिनट के लिए सदन स्थगित की गई।
- पटवारी ने बाद में कागज पटल पर रखे, जिसे स्पीकर ने कहा कि सदन में कहे गए बयान और कागजों में भिन्नता है। विवाद बढ़ा तो सत्ता पक्ष के लोग पटवारी पर कार्रवाई के लिए अड़ गए। =स्पीकर ने पटवारी से कहा कि वे खेद व्यक्त कर दें। पटवारी तैयार नहीं हुए। इसके बाद पटवारी को निलंबित कर दिया गया।
- बाद में पटवारी ने कहा कि नरोत्तम-शिवराज की लड़ाई में मेरा निलंबन हुआ। उन्होंने कहा कि मैंने जो बोला वही लिखकर दिया था।
- निलंबन पर सवाल उठाते हुए जीतू पटवारी ने कहा- मैंने जो बोला, वही लिखकर दिया है। वही प्रश्नों में भी है। उन्हीं बातों पर मैं अब भी कायम हूं। अगर कोई गलती होती, तो कल ही खेद व्यक्त कर देता। मैंने जो कहा, वो संविधान के अनुरूप, पार्टी के अनुरूप कहा। संयमित भाषा में सही शब्दों में कहा। कोई गलती नहीं की।