जबलपुर में टाटा नमक के नाम से बिना आयोडीन वाला नमक बेचे जाने का मामला सामने आया है। पुलिस ने मयंक शर्मा नामक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर 135 पैकेट नकली टाटा नमक जप्त किया है। इस मामले में विवेक अग्रवाल और प्रशांत कुमार जैन पर कॉपी राइट एक्ट के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है।
दो आरोपी हिरासत में
जबलपुर की पाटन पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार इन्फोर्सिस ऑफ इंटेलैक्चुअल प्रॉपर्टी राईट्स (ई.टी.पी.आर.) इंडिया प्राईवेट लिमिटेड कंपनी के जांच अधिकारी मयंक शर्मा और सहयोगी हिमांशु दीक्षित ने कटंगी स्थित दो दुकानों से टाटा कम्पनी के नाम से नमक की नकली पैकिंग कर बेचे जाने की सूचना दी थी। जिसके बाद सक्रिय हुई पुलिस ने विकास ट्रेडर्स किराना दुकान के संचालक विवेक अग्रवाल और वर्धमान किराना स्टोर दुकान के संचालक प्रशांत कुमार जैन के पास से 135 पैकेट नकली टाटा नमक जप्त किया। दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस इस बात की जानकारी जुटा रही है कि दोनों को नमक की सप्लाई कौन कर रहा था?
पैकेट पर डाल रखा था नकली बार कोड
पाटन टीआई आसिफ इकबाल के मुताबिक विकास ट्रेडर्स किराना दुकान से टाटा नमक जैसे दिखने वाले 45 पैकेट जप्त किए गए। इसी के पास स्थित वर्धमान किराना स्टोर में दबिश दी, तो यहां से दो 90 पैकेट नकली टाटा नमक बरामद किया गया। नकली नमक के पैकेट पर आरोपियों ने नकली बार कोड बना रखा था, जो स्कैन करने पर स्कैन नहीं हुआ। पैकेट के पीछे तरफ बीच में बैच कोड नहीं डला है। जबकि असली टाटा नमक के पैकेट पर बैचकोड डला होता है।
साधारण नमक को पीस कर किया गया था पैक
जांच के बाद सामने आई जानकारी के अनुसार आरोपी साधारण खड़े नमक को पीसकर नमक तैयार कर लेते थे, जिसे बाद में ब्रांडेड कंपनी के नाम से बेचा जा रहा था। पुलिस के मुताबिक एक किलो नकली नमक को तैयार करने में 5 रुपए का खर्च आता है, जिसे दुकानदार 20 रुपए में बेच देते थे।
इस तरह होती है नकली नमक की पहचान
असली टाटा नमक की थैली को जब पलटा जाता है, तो नमक रेत की तरह फिसलने लगता है, लेकिन नकली नमक फिसलता नहीं है। एक ही जगह जम जाता है। असली टाटा नमक को बचेने में जहां दुकानदार को प्रति बोरी 60 रुपए का फायदा हाेता है। वहीं नकली नमक बेचने पर 400 रुपए का मुनाफा हाेता है।