Bhopal News : संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित 38वें लोकरंग उत्सव में पंजाब एवं हरियाणा से आये हुये सिकलीगर समुदाय द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया गया। सिकलीगर समुदाय पूर्व में गुरू गोविन्द सिंह की सेना के लिये लोहे से हथियार एवं अन्य औजार बनाने का कार्य करते रहे हैं। इस बारे में निदेशक, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी डॉ. धर्मेंद्र पारे ने बताया कि आज हम ताला बनाने एवं चाकू-छूरा में धार लगाने वाले समुदाय को जानते हैं।

संग्रहालय के लिये एक बड़े ताले का निर्माण

यही सिकलीगर समुदाय है। जो अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इस समुदाय़ ने लोकरंग में अपनी पारंपरिक कला का प्रदर्शन किया एवं समारोह के पश्चात मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय का भ्रमण करते हुये प्रदर्शित प्रादर्शों को देखकर सेवा के रूप में एक बड़ा ताला बनाने की इच्छा जाहिर की और शिल्पियों ने कहा कि आने वाली पीढियां इस विलुप्‍त होते तालों को देख सकें और बिना पारिश्रमिक सेवा के रूप में संग्रहालय के लिये एक बड़े ताले का निर्माण करना चाहते हैं।

छह सिकलीगर शिल्पियों ने निर्माण किया

पिछले दो दिनों में छह सिकलीगर शिल्पियों- उत्तम सिंघ, भान सिंघ, बलवीर सिंघ, जिले सिंघ, कृश्न सिंघ द्वारा एक बड़े ताले का निर्माण किया गया है, जो लगभग 6 फीट का है। इस समुदाय के पास चार सौ वर्ष पुरानी परंपरा के ताले भी हैं और यह समुदाय मूलतः राजस्थान से निकलकर कालांतर में देशभर में बसते गये हैं। इस ताले को मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय अवलोकन के दौरान आगंतुक देख सकेंगे।