भोपाल। मप्र उर्दू अकादमी (संस्कृति विभाग) का प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन कई मीठी यादें देकर रुखसत हुआ। कई बड़े और यादगार सांस्कृतिक कार्यक्रम लिए इस आयोजन की खासियतों में एक नायाब हिस्सा इसमें शामिल दुनिया के नामवर शायरों को मंच पर उतारने का था। गालिब, मीर, फिराक जैसे कई शायरों का रूप धारण किए कलाकारों ने दर्शकों का मन भी मोहा और रसिक श्रोताओं की सांस्कृतिक प्यास को तृप्त भी किया।
उर्दू प्रेमियों के लिए नए आयाम स्थापित करने का प्रयास
मप्र उर्दू अकादमी निदेशक डॉ नुसरत मेहदी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नई रंगत घोलने की तहरीर कही जाने लगी हैं। पिछले कई वर्षों से वजूद में लाए गए जश्न ए उर्दू को वे नए नए रंग देकर उर्दू प्रेमियों के लिए नए आयाम स्थापित करती रही हैं। जश्न ए उर्दू 2023 के दौरान भी इसी परंपरा को निभाने में उन्होंने महारत हासिल की। मुशायरा, बात, कव्वाली से लेकर अदब की दुनिया को तसल्ली देने वाले दर्जनों कार्यक्रमों के तीन दिनों के बीच उन्होंने उर्दू अदब की आन बान शान कहे जाने वाले नामवर शायरों को मंच पर उतारने की परिकल्पना की। उनकी इस मंशा को साकार रूप देने के लिए शहर की प्रतिष्ठित रंग संस्था रंग मोहल्ला, सोसाइटी फॉर परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स समिति और सेवन कलर्स वेलफेयर सोसाइटी के कलाकार आगे आए।
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निर्देशक अदनान खान और सहायक निर्देशक प्रदीप अहिरवार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को सूत्र में पिरोया। रंग कलाकारों ने मिर्ज़ा ग़ालिब, मीर तक़ी मीर, फ़िराक़ ग़ोरख़पुरी, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ान, रामप्रासाद बिसमिल, कैफ़ भोपाली के किरदार जीवंत किए। इस दौरान मिर्ज़ा ग़ालिब का किरदार लेकर पंकज सोलंकी, मीर तक़ी मीर के किरदार में लक्की कनौजिया, फ़िराक़ गोरखपुरी की भूमिका लेकर अभिषेक, अश्फ़ाक़ुल्लाह ख़ान के किरदार में सुरेश रजक, रामप्रासाद बिसमिल के किरदार को पंकज ने और कैफ़ भोपाली के किरदार को सौरभ राजपूत ने मंच पर साकार किया। निर्देशक अदनान ख़ान और सहायक निर्देशक प्रदीप कुमार अहिरवार की इस कोशिश को सार्थक रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका मेकअप आर्टिस्ट सीमा मोरे ने निभाया।
पुरस्कार से नवाजा
शुक्रवार शाम को जश्न ए उर्दू की विदाई महफिल सजी, जिसके मेहमान ए खास पूर्व संसद आलोक संजर रहे। उन्होंने मिर्ज़ा ग़ालिब को प्रथम पुरस्कार, फ़िराक़ गोरखपुरी को द्वितीय पुरस्कार और अश्फ़ाक़ुल्लाह ख़ान को तृतीय पुरस्कार से नवाजा। मप्र उर्दू अकादमी निदेशक डॉ नुसरत मेहदी कलाकारों की हौसला अफजाई के लिए खास तौर से मौजूद थीं। शहर की अदब बिरादरी भी बड़ी संख्या में यहां जमा थी। डॉ नुसरत मेहदी ने तीन दिन के इस आयोजन को सफल बनाने में मददगार बने सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया। साथ ही उन्होंने वादा किया कि अगले बरस के आयोजन में नए रंग, नया जोश और सांस्कृतिक संतुष्टि के नए आयाम मौजूद होंगे।