Bhopal News: मध्यप्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ी खबर है। दरअसल, समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए पंजीयन की तारीख आगे बढ़ा दी गई है। अब किसान 5 मार्च तक पंजीयन करा सकेंगे। पहले 28 फरवरी तक पंजीयन की अंतिम तारीख निर्धारित की गई थी। पिछली बार की तुलना में इस बार किसानों ने पंजीयन कम कराया है। जिसे देखते हुए सरकार ने तारीख बढ़ाने का फैसला लिया है।
किसानों का पंजीयन खुद के मोबाइल में एमपी किसान एप पर तहसील और जनपद, ग्राम पंचायतों की सुविधा केंद्रों, सहकारी समिति, विपणन संस्थाओं के केंद्रों पर मुफ्त में किया जा सकता है।
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कोलार की एक दर्जन कॉलोनियों में आ रहा गंदा व बदबूदार पानी
भोपाल। राजधानी के उपनगर कोलार की एक दर्जन से अधिक कॉलोनियों में केरवा डैम से प्रदाय होने वाला पानी मटमैला व बदबूदार आ रहा है। रहवासियों के द्वारा बार-बार नगर निगम में शिकायत करने के बाद भी कोई समाधान नहीं हो रहा है। जलकार्य शाखा के अधिकारी भी इसको लेकर लापरवाही बरत रहे हैं। ऐसे में कोलार की बीस हजार आबादी गंदा और बदबूदार पानी पीने के लिए मजबूर हैं।
कोलार के दानिश कुंज में रहने वाली नीतू पटेल ने बताया कि केरवा डैम से कोलार में जलप्रदाय किया जाता है। लेकिन बीते दो दिनों से लोगों के घर में प्रदाय किया जाने वाला पानी मटमैला आ रहा है। कोलार की अन्य कॉलोनियों में भी इसी मटमैले पानी की आपूर्ति की जा रही है। इससे रहवासी चिंतित हैं। इसकी शिकायत भी नगर निगम के जलकार्य शाखा और कालसेंटर में की जा चुकी है।
इसके बावजूद पानी की शुद्धता में सुधार नहीं हुआ। बीते शनिवार और रविवार को भी बीमाकुंज, सर्वधर्म सी सेक्टर, दानिश कुंज, बंजारी, कान्हाकुंज समेत अन्य कालोनियों में मटमैला पानी की आपूर्ति हुई। वहीं इस मामले में निगम के जल कार्य प्रभारी उदित गर्ग ने बताया कि ओवर हेड टैंकों में सप्लाई होने वाले पानी के शुद्धता की निगम द्वारा जांच की जाती है। इसके बाद घरों में सप्लाई किया जाता है। यदि लोगों की शिकायत गंदे पानी को लेकर है तो इसकी जांच कराई जाएगी और इसमें सुधार किया जाएगा।
नल के पानी से आ रही दुर्गंध-
गणेश नगर निवासी सीताराम पटेल ने बताया कि मटमैले पानी के साथ पानी में बदबू भी आ रही है। हालांकि पानी जब साफ आता है, तब भी पानी से बदबू आती है। जिससे ऐसा लगता है कि कहीं पाइप लाइन लीक होने से पानी के साथ सीवेज मिल रहा है। क्योंकि जगह-जगह पानी की पाइप लाइनों में लीकेज है, कई स्थानों पर ये लाइनें नालों से होकर गुजरी हैं। जिससे पानी के गंदा होने की संभावना बनी रहती है।