भोपाल। भोपाल लोकायक्त पुलिस कार्यालय में पदस्थ रहे कार्यवाहक डीएसपी योगेश कुरचानिया को विदिशा जिले के गंजबासौदा में नागरिक सहकारी बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को नकली लोकायुक्त पुलिस अधिकारी बनकर एक लाख की अड़ीबाजी करने के मामले में निलंबित किया गया है।
इस मामले में उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई है। दो व्यक्ति नकली लोकायुक्त पुलिस अधिकारी बनकर बैंक अधिकारी को आय से अधिक संपत्ति का फर्जी नोटिस देने पहुंचे थे। एक जालसाज खुद को भोपाल लोकायुक्त पुलिस कार्यालय में पदस्थ कार्यवाहक डीएसपी योगेश कुरचानिया बता रहा था। अड़ीबाजी के इस पूरे मामले में पुलिस अधिकारी कुरचानिया की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर पुलिस महानिदेशक ने उन्हें निलंबित कर दिया है।
कार्यमुक्त होने के बाद अड़ीबाजी-
जानकारी के अनुसार कार्यवाहक डीएसपी कुरचानिया को 6 फरवरी को लोकायुक्त पुलिस की पदस्थापना से हटाकर पुलिस मुख्यालय अटैच किया गया था। यह कार्रवाई भी उन पर घूस मांगने के आरोप लगने पर की गई थी। 10 फरवरी को कुरचानिया को लोकायुक्त की पदस्थापना से पद मुक्त कर दिया गया था। 11 फरवरी को पजेरो कार से आरपी मालवीय और निकेश शर्मा गंजबासौदा पहुंचे और नागरिक सहकारी बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी 59 वर्षीय हरिओम भावसार से मिले।
निकेत शर्मा खुद को लोकायुक्त का पुलिसकर्मी बनकर भावसार को आय से अधिक संपत्ति का फर्जी नोटिस देते हुए चल-अचल संपत्ति की जानकारी मांगी। इसके बाद कहा कि कार में डीएसपी कुरचारिया साहब बैठे हैं, बात कर लीजिए। भावसार जब आरपी मालवीय से मिले तो वह खुद को लोकायुक्त डीएसपी योगेश कुरचानिया बताते हुए कहा कि एक लाख रुपए दे दो, नोटिस यहीं निरस्त कर दूंगा।
शक होने पर पकड़े गए-
भावसार ने पुलिस को बताया कि नोटिस में लोकायुक्त डीएसपी राजेंद्र सिंह सेंगर के हस्ताक्षर थे। तब मुझे शक हुआ कि एक डीएसपी आया है तो दूसरे डीएसपी के हस्ताक्षर का नोटिस क्यों लाया। जब सख्ती से पूछताछ की तो खुद को कुरचानिया बताने वाला व्यक्ति बोला कि मेरा नाम आरपी मालवीय है। इसके बाद बैंक अधिकारी ने स्थानीय लोगों की मदद से दोनों को पकड़कर गंजबासौदा पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने दोनों के खिलाफ अड़ीबाजी व अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है। इस मामले में कार्यवाहक डीएसपी कुरचानिया की भूमिका संदिग्ध होने पर उन्हें निलंबित किया गया है।
क्या था मामला-
बता दें कि नागरिक बैंक गंजबासौदा के प्रबंधक हरिओम भावसार ने शिकायत की थी कि शनिवार शाम के समय बैंक बंद कर वे अपने घर पहुंचे ही थे कि एक शख्स उनके पास आया और कहने लगा कि साहब कार में बैठे हैं। आपसे चर्चा करना चाहते हैं। नंबर प्लेट पर हाईकोर्ट लिखा था और गाड़ी में 2 लोग बैठे थे। उनमें से एक ने अपने आपको डीएसपी लोकायुक्त योगेश कुरचानिया बताया और अपना आईकार्ड दिखाया।
उसने मैनेजर से कहा कि आपके खिलाफ लोकायुक्त में आय से अधिक संपत्ति की शिकायत आई है। मामले में आपकी गिरफ्तारी हो सकती है। कुछ ले-देकर मामला निपटा लो। तभी वहां मैनेजर के कुछ दोस्त आ गए, जिन्होंने दो लोगों को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया था। गिरफ्तार आरोपियों ने बताया था कि वे डीएसपी योगेश कुरचानिया के साथ गंजबासौदा एक मामले की तामील लेकर आए थे।