भोपाल। शराफत अली भोपाली… अपनी जोंगा जीप से मुंबई घूमने आया था और चोर बाजार में उसको नीलाम होते हुए पाया…। उसी दिन से चोर बाजार में अपनी जिंदगी शुरू की, और शराफत के साथ इतनी इज्जत कमाई के चोर बाजार के सबसे बड़े खरीदार बन गए…।

भोपाली अंदाज में पान चबाते, सिर की टोपी को बार बार सरकाते और लफ्जों, अदाओं, व्यवहार से भोपालियत टपकाते सतीश कौशिक ने बरसों पहले जगदीप द्वारा निभाए सूरमा भोपाली के कैरेक्टर को मात दे दी थी। बड़े मियां छोटे मियां में महानायक अमिताभ बच्चन और उस जमाने के कॉमेडी किंग माने जाने वाले गोविंदा से उनकी जुगलबंदी को बहुत सराहा गया था।

8-10 बार भोपाल आ चुके हैं कौशिक

अनिल कपूर की मिस्टर इंडिया के कैलेंडर से चर्चित हुए सतीश कौशिक का भोपाल आना जाना लगा रहा है। काम के सिलसिले में में 8-10 बार भोपाल आ चुके हैं। जब भी यहां आए तो भोपाली जोंगा जीप, एलएमएल या बजाज वेस्पा की सवारी उनका पसंदीदा शगल रहा। नए नए दोस्त बनाकर उनके साथ पुराने शहर की गलियों में घूमना उनके खास शौक में शामिल रहा है। भोपाल मूल के मुंबई में स्थापित लेखक रूमी जाफरी उनके अजीज दोस्तों में शामिल रहे हैं।

मप्र की ही धरती से ताल्लुक रखने वाले और भोपाल के लिए जान निसार करने वाले मशहूर एक्टर अन्नू कपूर से भी सतीश कौशिक का अच्छा दोस्ताना रहा है। उनके जानने वाले कहते हैं कि सतीश को मुंबई में रहने वाले भोपाल के लोगों से बहुत लगाव रहा है। अक्सर इन लोगों से मुलाकात के दौरान वे भोपाल की नमक वाली चाय को याद किया करते थे। जब भोपाल आते तो इसकी चुस्की लिए बिना सतीश का सफर मुकम्मल नहीं होता।

भोपाल में फिल्म अकादमी स्थापित करना चाहते थे

एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर भोपाल में फिल्म अकादमी स्थापित करना चाहते थे। इसके लिए वे मुख्यमंत्री और संस्कृति विभाग के लोगों से मुलाकात करते रहे हैं। उनके जीवन की अंतिम फिल्म द लास्ट शो भी उन्होंने भोपाल में ही शूट की थी। अबुल कलाम सेंटर के जावेद बेग कहते हैं कि सतीश कौशिक से उनकी पहली मुलाकात भोपाल के नूर उस सबाह होटल में हुई। बिना किसी पूर्व परिचय के जब वे उनसे मिलने पहुंचे तो सतीश की आत्मीयता के कायल हो गए। लंबी चली चर्चा में सतीश ने भोपाल की खूबसूरती, यहां के सुकून भरे माहौल, यहां के लोगों की मेहमान नवाजी के अंदाज की जमकर तारीफ की। एक मुलाकात में दोस्त बनाकर सतीश कौशिक, जावेद बेग को मुंबई आने की दावत भी देकर लौटे थे।

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अक्सर काम की बारीकियां बताते थे

रंग मोहल्ला सोसायटी के प्रदीप अहिरवार और अदनान खान कहते हैं कि वे जब भी भोपाल आए, उनसे बहुत प्यारी मुलाकात हुई। वे हमेशा कहते थे कि रंगमंच फिल्म से बहुत ऊंचा मुकाम रखता है। अक्सर काम की बारीकियां भी बताते थे और अभिनय निखारने के गुर भी सिखाते थे। प्रदीप और अदनान कहते हैं कि किसी समग्र व्यक्ति की तुलना की जाना हो या इसके लिए उदाहरण देना हो तो एक नाम सतीश कौशिक का लिया जा सकता है।