भोपाल। मप्र मानव अधिकार आयोग की ओर से तीन मामलों में टीकमगढ़ कलेक्टर को बार-बार स्मरण पत्र भेजने के बाद भी जवाब नहीं मिलने पर आयोग ने कड़ा रूख अपनाया है। मामलें आयोग ने कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी को कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ ही पांच हजार रूपए का नामजद जमानती गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है। इसके साथ ही उन्हे पांच अप्रैल को अनिवार्यत: आयोग में व्यक्तिश: आकर स्पष्टीकरण देने के आदेश भी आयोग ने दिए हैं। आयोग के अनुसार, नोटिस एवं नामजद जमानती गिरफ्तारी वारंट की तामीली टीकमगढ़ पुलिस अधीक्षक के माध्यम से कराई जाएगी।
इन मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग संज्ञान लिया-
आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, 2020 में एक आयोग ने एक खबर पर संज्ञान लिया था। मामले में मानसिक रोग से पीडि़त जिले के पलेरा जनपद के सगरवारा गांव के कालूपाल को एक कमरे में कैद रखा गया था और गरीबी के कारण उसका इलाज नहीं हो पा रहा था।
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पीएम आवास योजना-
दूसरा मामला 2021 का है, जिसके मुताबिक शरीफ खां ने आयोग में आवेदन लगाया था कि उसे पीएम आवास योजना के तहत आवास मंजूर न कर नगर पालिका द्वारा उसे परेशान एवं प्रताड़ित किया जा रहा है। वहीं तीससरा मामला 2022 का है, जिसके मुताबिक आवेदक मुकुल तिवारी ने आयोग में एक शासकीय रास्ते पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण होने की शिकायत की थी। तीनों ही मामलों में आयोग नेकलेक्टर को प्रतिवेदन देने के लिए कई पदीय स्मरण पत्र भेजे, नामजद नोटिस जारी किया, लेकिन न तो कलेक्टर ने जवाब भेजा और न ही वह उपस्थित हुए। जिसके बाद आयोग ने यह कार्यवाही की है।
आईपीएस के बेटे के साथ रैगिंग –
आयोग ने भोपाल के नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (एनएलआइयू) में इंदौर में पदस्थ एक वरिष्ठ आईपीएस अफ सर के बेटे के साथ रैगिंग होने के मामले में संज्ञान लिया है। एनएलआइयू के कुलपति के अनुसार मामले की जांच बोर्ड कर रहा है। मामले में आयोग ने पुलिस कमिश्नर और रजिस्ट्रार, एनएलआइयू से प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने इनसे यह भी पूछा है कि क्या हॉस्टप परिसर में सुरक्षा के लिए सीसीटीव्ही कैमरे लगे हैं ? हॉस्टल परिसर में अनाधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश न कर सकने के संबंध में सुरक्षा के क्या प्रयास किये गये हैं ?
बीमा अस्पताल –
आयोग ने भोपाल के बीमा अस्पताल में भारी बदइंतजामी, मरीजों को पंजीयन कराने के लिए पर्चा बनवाने हेतु ओपीडी में एक-एक घंटे तक खड़े रहने, अस्पताल परिसर में गंदगी और पीने के पानी के लिए जंग लगा वॉटर कूलर जैसी अन्य अव्यवस्थाओं के मामले में संज्ञान लिया है। आयोग ने संचालक, राज्य बीमा चिकित्सा सेवायें को प्रकरण की जांच कराकर की कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन भेजने के निर्देश दिए हैं।