भोपाल। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश 22वें से 17वें स्थान पर पहुंचा है। इस सर्वेक्षण के माध्यम से प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों के डाटा प्रविष्ट के कार्य में मप्र ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। यह बात मंगलवार को एआईएसएचई शिक्षा मंत्रालय,भारत सरकार के उप महानिदेशक आर राजेश ने बोली ।
राजधानी के प्रशासन अकादमी में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उप महानिदेशक आर राजेश द्वारा कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। कार्यशाला के प्रारंभ में मप्र एआईएसएचई की समन्वयक सदस्य डॉ. मनीषा शर्मा ने मप्र उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एआईएसएचई 2020-21 की रिपोर्ट में मप्र की स्थिति पर प्रकाश डाला।
सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालय के 80 नोडल अधिकारी शामिल हुए-
कार्यशाला में सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालय के 80 नोडल अधिकारी शामिल हुए। इन अधिकारियों को एआईएसएचई दिल्ली ने आए विकास मेहता एवं संजीव ने प्रशिक्षण प्रदान किया। इस दौरान प्रतिभागियों को पोर्टल में डाटा प्रविष्ट की प्रक्रिया एवं इस दौरान आने वाली तकनीकी परेशानियों के समाधान भी बताए गए।
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पोर्टल पर दर्ज आंकड़े पूरी तरह सटीक हों –
उप महानिदेशक आर राजेश ने कहा कि उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता कि पोर्टल पर दर्ज किया जाने वाले आंकड़े पूरी तरह सटीक हों, क्योंकि इस डाटा बेस का इस्तेमाल भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा नीति निर्माण, बजट आवंटन एवं अनुसंधान में किया जाता है। इस डाटा बेस का इस्तेमाल कई बार यूनेस्को, डब्ल्यूएचओ जैसे विश्वस्तरीय संगठन भी करते हैं।
नामांकन में उल्लेखनीय वृद्वि –
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे निजी विश्वविश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. भरत शरण ने कहा कि 2020-21 की रिपोर्ट से पता चलता है कि मप्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग की छात्राओं के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्वि हुई। इससे प्रतीत हो रहा है कि मप्र सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही है। एआईएसएचई के स्टेट नोडल ऑफ ीसर डॉ. सुनील कुमार सिंह ने बताया कि विभाग एआईएसएचई के माध्यम से सकल नामांकन अनुपात की सही और सटीक तस्वीर सबके सामने लाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ।