मुरैना। डॉ. एसएन सुब्बाराव की पार्थिव देह जयपुर से सड़क मार्ग से मुरैना पहुंचा। यहां जौरा में भाईजी अमर रहे के नारे लगाए गए। प्रख्यात गांधीवादी नेता डॉ. एसएन सुब्बाराव का बुधवार की सुबह जयपुर के अस्पताल में निधन हो गया था। शाम 5 बजे सड़क मार्ग होते हुए उनकी पार्थिव देह को एंबुलेंस से मुरैना लाया गया।
मुरैना रेस्ट हाउस में डॉ. सुब्बाराव की पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। इसके बाद शव को जौरा ले जाया गया। जौरा में खुले वाहन में डॉ. सुब्बाराव की अंतिम यात्रा निकाली गई, इस दौरान भाई जी अमर रहे…भाईजी की कामना, सद्भावना…के नारों से जौरा गूंज उठा। गुरुवार की सुबह जौरा के गांधी सेवाश्रम में उनकी पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा और आश्रम परिसर में ही शाम 4 बजे अंतिम संस्कार होगा। अंतिम संस्कार में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर कई बड़े नेता व समाजसेवी शामिल होंगे।
चंबल घाटी को दस्यु सरगनाओं के आतंक से मुक्ति दिलाने वाले देश के प्रसिद्ध गांधीवादी डॉ. एसएन सुब्बाराव (92) ने बुधवार सुबह जयपुर में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार थे और जयपुर में एक अस्पताल में भर्ती थे। उनका अंतिम संस्कार गुरुवार सुबह जौरा गांधी आश्रम में किया जाएगा। शोक स्वरूप जौरा का बाजार पूरी तरह से बंद रहेगा। उनकी अंतिम यात्रा में कई स्वतंत्रता सेनानी और जिला प्रशासन के अधिकारी शामिल होंगे।
बताया जाता है कि जब चंबल घाटी में डाकुओं के आतंक से पुलिस भी यहां आने से घबराती थी। ऐसे में डॉ. सुब्बाराव अकेले ही सभी दस्यु सरगनाओं से मिले और उनसे समर्पण करवाकर उन्हें देश की मुख्यधारा में शामिल करवाया। चंबल का गांधी कहे जाने वाले सुब्बाराव ने उस दौर में घाटी में सक्रिय खूंखार दस्यु सरगना माधौ सिंह, मुहर सिंह और मलखान सिंह को गांधी द्वारा दिए गए अहिंसा के सिद्धांतों का पाठ कराया और उनसे समर्पण कराकर उन्हें समाज की मुख्य धारा में शामिल कराया। उस दौर में डॉ. सुब्बाराव के प्रयासों से 600 से ज्यादा डाकुओं ने समर्पण कर दिया था।
डाकुओं तक पहुंचाए गांधी के सिद्धांत
उनका जन्म बेंगलुरु में 7 फरवरी 1929 को हुआ था। देश में शांति स्थापना के लिए उन्हें पद्मश्री सहित कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए है। दस्यु सरगनाओं तक गांधी के सिद्धांतों को पहुंचाने के लिए उन्होंने जौरा में पहले गांधी आश्रम की स्थापना की थी, जिसके बाद देश-विदेश में 20 से ज्यादा जगहों पर गांधी आश्रमों की स्थापना की गई। 1970 के पहले प्रदेश का हर आदमी चंबल घाटी से गुजरते समय घबराता था। उस दौर में डॉ. एसएन सुब्बाराव ने गांधी के सिद्धांतों पर चलते हुए यहां अपना घर बना लिया था। इस दौरान मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चन्द्र शेट्टी, आचार्य विनोवा भावे और स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण ने भी इस काम में उनका पूरा सहयोग दिया और चंबल घाटी को दस्यु आतंक से मुक्त कराने के लिए कई सुविधाओं दस्युओं और उनके परिवारों को दीं।