भोपाल। चुनावी समर में भाजपा ने अपने तरकश में तैयारियों के तीर सजाने शुरू कर दिए हैं। शुरूआती तैयारियों में इस बात पर मोहर लग चुकी है कि यह विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चेहरा आगे रखकर ही लड़ा जाएगा। प्रदेश में सरकार द्वारा लागू और संचालित विकास योजनाओं को जनता के सामने रखकर दोबारा सरकार बनाने की भाजपा की तैयारी है। किसान, युवा, महिलाओं और मूलभूत सुविधाओं की बानगी उसके लिए विशेष अस्त्र होंगे।
इधर, अंदरुनी तैयारी के तौर पर भाजपा ने पार्टी की आपसी गुटबाजी को सिरे से खत्म करने की मुहिम भी छेड़ दी है। साथ ही अनुशासनात्मक माहौल बनाए रखने के लिए यह भी तय किया जा रहा है कि इस चुनाव में किसी नेता पुत्र, पुत्री या उनके रिश्तेदारों को टिकट नहीं दिए जाएंगे। इसके अलावा प्रदेश में चुनावी जमावट के लिहाज से मंत्रीमंडल का विस्तार कर कुछ नए चेहरों को स्थापित करने की योजना भी भाजपा ने बनाई है।
सरकार में बने रहने के लिए एक सर्वमान्य चेहरा जरूरी
मप्र मेंलगातार चार बार की सफल सरकार का संचालन कर चुकी भाजपा इस बात को अच्छे से समझ चुकी है कि प्रदेश में सरकार में बने रहने के लिए एक सर्वमान्य चेहरा जरूरी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रूप में उसकी यह मंशा खरी उतरी है और आगे भी इसी चेहरे के साथ चुनावी जंग जीतना आसान है। इसी बात को स्वीकार करते हुए पार्टी इस बात पर सहमत भी है और आश्वस्त भी हो चुकी है कि मिशन 2023 की फतह पाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चेहरा ही जनता के सामने रखा जाएगा। इस कवायद को दम देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे और उनकी जन स्वीकार्यता को भी इस चुनाव में भुनाया जाएगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान के चेहरों से ही लोगों को लुभाया जाएगा और उनके दम पर ही इस चुनावी जंग को जीतना सुनिश्चित किया जाएगा।
विकास का लिया जाएगा सहारा
चार बार की सरकार के दौरान प्रदेश में मूलभूत सुविधाओं से लेकर आमजन के लिए लागू की गईं विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को भी लोगों के सामने रखा जाएगा। सड़क, पानी, बिजली जैसे मामलों में सफलता हासिल कर चुकी प्रदेश सरकार ने महिलाओं, युवाओं, किसानों, कर्मचारियों, व्यापारियों आदि के लिए कई योजनाएं देकर अपनी छवि बनाई है। महिलाओं को लाड़ली लक्ष्मी, कन्यादान और लाड़ली बहना और युवाओं को रोजगार के कई अवसर देकर भाजपा ने खुद को जनहितैषी साबित किया है। इसी तरह किसानों, व्यापारियों और कर्मचारियों को अलग अलग योजनाओं के माध्यम से उनके हितों को साधा है।
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सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और जमीनी स्तर तक वास्तविक हितग्राहियों तक लाभ पहुंचाने के लिए सीएम फैलो और जनसेवा मित्रों की नियुक्ति कर भी लोगों में सरकार ने अपने प्रति विश्वास अर्जित करने में सफलता हासिल की है। इन सभी चीजों को लेकर वह चुनाव में उतरेगी। इनका गुणगान और बखान करने के लिए पहले चरण में सरकार प्रदेशभर मेंविकास यात्राएं निकाल चुकी है। इसके बाद चुनावी दौर में भी इन योजनाओं को जमकर प्रचारित-प्रसारित करने की सरकार की योजना है।
जल्दी होगा मंत्रीमंडल विस्तार
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश मंत्रीमंडल का बहुप्रतीक्षित विस्तार संभवतः इसी माह में कर लिया जाएगा। वर्तमान में खाली पड़े चार पदों पर जिम्मेदारी देते हुए क्षेत्रीय, जातीय समीकरण के साथ चुनाव में फायदा लाने वाले नामों को आगे लाया जा सकता है। इस दौरान ऐसे वर्तमान मंत्रियों, जिनका परफॉरमेंस ठीक नहीं रहा है, को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है या उनके विभाग भी बदले जा सकते हैं। इस बीच वर्तमान में एक से अधिक विभागों वाले मंत्रियों से कुछ विभाग कम भी किए जा सकते हैं। इस विस्तार प्रक्रिया में लंबे समय से मंत्री पद की आस लगाए बैठे विधायकों को संतुष्ट करने के प्रयास भी किए जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि मंत्रीमंडल विस्तार के लिए केन्द्रीय संगठन अपनी सहमति दे चुका है। साथ ही इस प्रक्रिया पर अपनी नजर और कसावट रखते हुए ही इसे पूरा करने की उसकी मंशा है।
गुटबाजी को किया जाएगा किनारे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लगातार चौथी बार सीएम बनने के हालात के बीच उनके विरोधियों की तादाद भी तेजी से बढती जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती, पूर्व भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा, पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से लेकर वर्तमान गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा तक शिवराज को घेरने के लिए किसी मौके की तलाश में लगे रहते हैं। ऐसे में अब कांग्रेस से आयातित ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी उनका सबसे बडा प्रतिद्वंदी माना जाने लगा है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के केन्द्रीय संगठन ने इस विरोधाभास और आपसी खींचतान पर लगाम कसने के प्रयास भी तेज कर दिए हैं। प्रदेश में लगातार पांचवीं बार सरकार बनाकर इतिहास रचने की मंशाओं के बीच इसको जरूरी माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि इसी रणनीति के तहत शिवराज को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने का फैसला लिया गया है। इस निर्णय को ताकत देने के लिए उनके साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम भी जोड़ दिया गया है।
रिश्तेदारों के टिकट पर पार्टी की ना
ज्योतिरादित्य सिंधिया, डॉ नरोत्तम मिश्रा से लेकर कई वरिष्ठ भाजपा नेता इस चुनाव में अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने परिवार के लोगों के लिए विधानसभा टिकट की जुगत में लगे हुए हैं। लेकिन सूत्रों का कहना है कि भाजपा संगठन इस बात का फैसला ले चुकी है कि इस चुनाव में पार्टी के बड़े नेताओं के परिजनों को टिकट नहीं दिया जाएगा। इस बात से वह कांग्रेस के खिलाफ उठाई जाने वाली परिवारवाद की बातों को भी पुख्ता करने की नीयत रखती है।