भोपाल। माही सोश्यो कल्चरल सोसाइटी भोपाल के तीन दिवसीय रंगमंच समारोह में सआदत हसन मंटो लिखित नाटक बादशाहत का ख़ात्मा का मंचन किया गया। स्व अंजय स्मृति नाट्य समारोह के तहत किए गए इस नाटक का निर्देशन शावेज़ सिकंदर ने किया। शहर के कलाकारों नितिन तेजराज, हिना मंसूरी, रवि श्रीवास्तव आदि ने विभिन्न भूमिकाओं को साकार किया।

नाटक के बारे में…

विख्यात साहित्यकार सआदत हसन मंटो की कहानी पर आधारित नाटक बादशाहत का खात्मा असल में रांग नंबर से शुरू हुई टेलिफोनिक लव स्टोरी है। यह कहानी घर से बेघर होकर मुंबई के फुटपाथ पर बसर करने वाले युवक मनमोहन की है। उसकी जिंदगी में अचानक बड़ा बदलाव आता है। उसका एक दोस्त कुछ दिन के लिए अपना दफ्तर उसके हवाले कर देता है। मनमोहन फुटपाथ से उठकर दफ्तर में आ जाता है और इसे ही बादशाहत मान लेता है।

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टेलीफोन पर आए एक रॉन्ग नंबर से उसकी बातचीत एक अनजान लड़की से होने लगती है। वह लड़की के काल्पनिक प्यार में खो जाता है। वह लड़की से उसका टेलीफोन नंबर मांगता है, लड़की कहती है कि जिस दिन उसके बादशाहत खत्म होगी, उस दिन वह उसे नंबर दे देगी। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहता है। मनमोहन को लगता है कि उसकी हसरतें पूरी होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। वह मन ही मन उस लड़की की तस्वीर बनाता है और उसके ख्वाबों में खोया रहता है लेकिन उसकी मुलाकात लड़की से हो पाती उसके पहले ही वह बीमार पड़ता है और अब लड़की उसको अपना नंबर देती तब तक उसके दफ्तर की बादशाहत भी खत्म हो जाती है। उसकी जिंदगी की की डोर भी टूट जाती है ।