MP NEWS : मध्यप्रदेश के 12 जिलों में एक मच्छर की दहशत व्याप्त है, जिसके काटने से आदमी दिव्यांग हो सकता है। इस मच्छर का नाम क्यूलेक्स है।  इस मच्छर के काटने से इंसान को लिम्फेटिक फाइलेरियासिस हो सकता है। इस बीमारी से बचाव के लिए 10 फरवरी से 15 फरवरी तक प्रभावित जिलों में दवा वितरण के लिए अभियान चलाया जाएगा।

बताया जा रहा है कि इस मच्छर के संक्रमण के कारण लिम्फ नोड ग्रंथियों में असर पड़ता है, अक्सर गंदे रुके हुए पानी में यह मच्छर पनपता है। मच्छर संक्रमण के शिकार लोगों में फाइलेरिया यानि हाथीपांव की बीमारी हो सकती है। यहां तक कि इस बीमारी की जकड़ में आकर व्यक्ति जीवन भर के लिए दिव्यांग हो सकता है। डॉक्टरों की मानें तो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से हुए संक्रमण का शिकार व्यक्ति में 6 से 8 साल बाद फाइलेरिया व हाईड्रोसिल बीमारियों के लक्षण नजर आ सकते हैं।

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इस बीमारी से बचने के लिए फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करने के अलावा अपने घरों के आसपास गंदा पानी जमा न होने दें। विशेषज्ञों का कहना है कि हर साल में एक बार, दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं व गंभीर बीमार लोगों को छोड़कर सबको फाइलेरिया रोधी डीईसी, एलबेंडाजोल व आईवरमैक्टिन की गोलियां खाना जरूरी है। पांच साल से छोटे बच्चों को आईवरमैक्टिन गोली नहीं दी जाती है। रीवा, छतरपुर और पन्ना में आईडीए के फॉर्मूले पर तीन दवाएं दी जा रहीं हैं। आईडीए यानि आईवरमैक्टिनए डीईसी और एलबेंडाजोल की गोलियां खिलाई जा रहीं हैं। बाकी 9 जिलों में डीईसी और एलबेंडाजोल की दवाएं दी जाएंगी। इन दवाओं को खाली पेट नहीं खाने के लिए कहा गया है।

यहां सबसे प्रभावित हैं लोग

सूत्रों की मानें तो 12 जिलों में 3455 लिम्फेडिमा व 1258 हाईड्रोसिल से ग्रस्त मरीज हैं। लिम्फेडिमा के सबसे ज्यादा 681 मरीज छतरपुर जिले में मिले हैं। वहीं, हाईड्रोसिल के सबसे ज्यादा 528 मरीज पन्ना जिले में मिले हैं।

ये जिले हैं प्रभावित

बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश के 12 जिले छतरपुर, दतिया, कटनी, पन्ना, उमरिया, रीवा, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, दमोह, सतना व छिंदवाड़ा में फाइलेरिया के खतरा मंडरा रहा है। इन सभी जिलों में अभियान चलाकर दवाएं खिलाई जाएंगी।