भोपाल। जनजाति समाज के असंख्‍य वीरों ने देश की रक्षा करते हुए अपना जीवन अर्पि‍त किया है। उन्‍होंने अपने वंशजों के सुखपूर्वक जीवन का सपना देखा था जिससे वे विकसित समाज के समकक्ष हो सकें, लेकिन कन्‍वर्ट हुए लोग आरक्षण प्राप्‍त कर रहे हैं। यह पाप हो रहा है। सरकार को डीलिस्टिंग करना ही चाहिए ताकि जनजाति समाज की मूल पहचान रखने वालों के अधिकार कन्‍वर्टेड लोग नहीं छीन सकें। जिन्‍होंने अपनी संस्‍कृति, अपनी मूल पहचान छोड़ दी उन्‍हें जनजाति के अधिकारों से वंचित किया जाना चाहिए। य‍ह बात जनजाति सुरक्षा मंच के राष्‍ट्रीय सह संयोजक राजकिशोर हंसदा ने शुक्रवार को भेल दशहरा मैदान पर आयोजित ‘जनजाति गर्जना डी लिस्टिंग महारैली’ में मुख्‍य वक्‍ता के रूप में संबोधित करते हुए कही।

आदिवासी हिन्‍दू समाज का अंग

उन्‍होंने कहा कि ईसाई प्रकृति की पूजा नहीं करते, इसलिए ईसाई आदिवासी नहीं हो सकते। ईसाई धरती की पूजा नहीं करते इसलिए भी वह जनजाति समुदाय के नहीं हो सकते। भारत का संविधान, न्‍यायालयों के निर्णय और जनगणना बताती है कि ईसाई जनजाति समुदाय के नहीं हैं। आदिवासी हिन्‍दू समाज का अंग हैं। धर्मान्‍तरितों को जनगणना में भी आदिवासी की संज्ञा नहीं दी गई है। इसके बाद भी नौकरी आदि में अधिकांश कन्‍वर्टेड लोग ही लाभ ले रहे हैं। यह बड़ा अन्‍याय है। डीलिस्टिंग जनजाति समाज के जीवन मरण का प्रश्‍न है। हम इसके लिए दिल्ली मार्च करेंगे।

दशकों से डीलिस्टिंग के लिए संघर्ष कर रहे हैं

जनजाति सुरक्षा मंच के आमंत्रित सदस्‍य सत्‍येंद्र सिंह ने कहा कि अपनी मूल पहचान छोड़ चुके अवैध लोग 70 साल से जनजातीय वर्ग के हम लोगों का अधिकार छीन रहे हैं। जनजाति समुदाय के लोग दशकों से डीलिस्टिंग के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आज इसी क्रम में जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा ‘जनजाति गर्जना डी लिस्टिंग महारैली’ भोपाल में आयोजित हो रही है। अब आगे हम दिल्‍ली से भी ललकारेंगे। भगवान हमारी सहायता करेगा।

उन्‍होंने कहा कि डीलिस्टिंग के लिए 1967 में तत्‍कालीन सांसद कार्तिक उरांव की अगुवाई में विधेयक लाया गया था। इसके बाद भी अब तक संसद में लागू नहीं किया गया। जनजाति‍ वर्ग के लोग इसके लिए दशकों से संघर्ष कर रहे हैं। 2006 में जनजाति सुरक्षा मंच का गठन किया गया। इसके बाद 2009 में समाज के देशभर के 28 लाख लोगों के हस्‍ताक्षर वाला मांग पत्र तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति प्रतिभादेवी पाटिल को सौंपा था। इसके लिए देशभर में जिला स्‍तर पर रैली की जा रही हैं। इसी क्रम में भोपाल में यह गर्जना महारैली हो रही है।

जो कन्‍वर्टेड लोग दोहरा लाभ ले रहे हैं उन्‍हें अनुसूची से हटाया जाए

राज्‍यसभा की पूर्व सांसद श्रीमती संपतिया उइके ने कहा कि डॉक्‍टर अंबेडकर ने संविधान के अनुच्‍छेद 341 में व्‍यवस्‍था दी थी कि यदि अनूसूचित जाति के लोग भारत के मूल के अलावा अन्‍य धर्मों में धर्मांतरित होते हैं तो उन्‍हें अनुसूचित जाति का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसा ही संशोधन हम अनुसूचित जनजाति के लिए बनाए गए अनुच्‍छेद 342 में चाहते हैं। जो कन्‍वर्टेड लोग दोहरा लाभ ले रहे हैं उन्‍हें अनुसूची से हटाया जाना चाहिए। जनजाति के अधिकारों उपयोग 95 प्रतिशत कन्‍वर्टेड लोग ले रहे है जबकि मूल पहचान रखने वाले जनजाति के 5 प्रतिशत लोगों को ही लाभ मिल पा रहा है।

हमारे साथ अन्‍याय हो रहा

पूर्व आईएएस श्‍यामसिंह कुमरे ने कहा कि जब से देश आजाद हुआ है, हमारे साथ अन्‍याय हो रहा है। जनजाति समाज भारतीय सनातन परंपरा और संस्‍कृति का संवाहक रहा है। जनजाति समुदाय का व्‍यक्ति जैसे ही धर्म परिवर्तन करता है तो उसकी मूल विशेषताएं समाप्‍त हो जाती हैं। अत: उन्‍हें मूल जनजाति की सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए। यह लड़ाई अब सड़क पर उतर आई है। अब यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम दिल्‍ली तक मार्च करने तैयार हैं।

हमारी मांग नहीं मानी तो हम दिल्‍ली कूच करेंगे

नरेंद्र सिंह मरावी ने कहा कि जनजाति समाज देश की सनातन संस्‍कृति का संवाहक है। हमारे जनजाति समाज के लोग मुगल आक्रांताओं और बाद में अंग्रेजों से लड़ते और संघर्ष करते रहे। अपने प्राणों की आहुति भी दी लेकिन अपना धर्म और संस्‍कृति नहीं छोड़ी। हमारे पुरखों टंटया भील, रानी दुर्गावती, तिलका माझी ने देश की सनातन संस्‍कृति के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। हम उनके वंशज हैं। जनजाति की पूजा पद्धति विशिष्‍ट है। विदेशी धर्म के लोगों ने हमारे पुरखों को मारा है। डीलिस्टिंग ऐसे लोगों का जनजाति समाज से बाहर करने का तरीका है। कन्‍वर्टेड लोगों को जनजाति आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। यदि सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो आने वाले समय में हम दिल्‍ली कूच करेंगे।

लोकनृत्‍य और लोक गीतों की प्रस्‍तुति

मंडला से आए जगत सिंह मरकाम ने गीत के माध्‍यम से समाज की वेदना को व्‍यक्‍त किया। सभा से पूर्व प्रदेशभर से आए जनजाति समाज के कलाकारों ने मंच से लोकनृत्‍य और लोक गीतों की प्रस्‍तुति दी। छिंदवाड़ा और झाबुआ के दल ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों पर लोक नृत्‍य की प्रस्‍तुति दी। कार्यक्रम के बाद भेल दशहरा मैदान से हजारों की संख्‍या में उपस्थित जनजाति समाज के लोगों ने गर्जना रैली निकाली। रैली में अंचल से आए जनजाति समाज के युवक और मातृशक्ति ढोल-नगाड़ों और अन्‍य पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर लोकनृत्‍य करते चल रहे थे। महारैली अन्‍नानगर चौराहा पहुंची जहां संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को माल्‍यार्पण किया गया। इसके बाद पुन: महारैली भेल दशहरा मैदान पहुंची जहां समापन हुआ।