Khajuraho
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भोपाल। पर्यटकों को मध्यप्रदेश की हजारों वर्ष पुरानी जनजातीय सभ्यता और संस्कृति से रूबरू कराने खजुराहो में संस्कृति विभाग द्वारा जनजातीय बस्ती बनाई जा रही है। मप्र संस्कृति विभाग के जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी भोपाल द्वारा इस जनजातीय गांव को बसाया जा रहा है।

जनजातीय संग्रहालय के अधिकारियों के अनुसार ने आदिवर्त जनजातीय लोक कला संग्रहालय के परिसर से लगी लगभग 4 एकड़ जमीन पर जनजातीय आवास बनाए जा रहे हैं। खजुराहो एक विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र है। इसी दृष्टि से पर्यटकों को मप्र की जनजातीय एवं जनपदीय संस्कृति से अवगत कराने के लिए आदिवर्त जनजातीय लोक कला संग्रहालय का विस्तार किया जा रहा है।

करीब से देख सकेंगे जनजातियों का रहन-सहन-

संग्रहालय में प्रदेश की 7 प्रमुख जनजाति गौंड, बैगा, कोरकू, भील, भारिया, सहरिया और कोल के पारंपरिक जनजातीय आवासों का संयोजन किया जा रहा है। यह परिकल्पना एक जनजातीय गांव की तरह परिकल्पित की जा रही है। इसमें जनजातियों के रहन-सहन, आवासों की अलंकारिकता, उपयोगी सामग्रियों को प्रदर्शित किया जाएगा। इन सभी घरों में दीर्घाओं बनाई जाएंगी।

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लोकांचल की झलक देखने को मिलेगी-

प्रदेश के पांचों लोकांचल बुंदेलखंड, निमाड़, मालवा, बघेलखंड और चंबल की जनपदीय संस्कृति के पारंपरिक आवासों को भी विस्तारित किया जाएगा।संग्रहालय में प्राचीन सभ्यता जिसमें जनजातियों के रहन सहन, खान पान, वेशभूषा, आभूषण एवं उनकी कलाकृतियों को साक्षात मूल स्वरूप में दिखा सकेंगे। इसी के साथ यहीं पर स्थित आदिवर्त जनजातीय लोक कला संग्रहालय में रखी विभिन्न जनजातियों द्वारा बनाई गई हस्तशिल्प से भी परिचित करा सकेंगे।

150 फीट लंबी पेंटिंग में नर्मदा यात्रा-

खजुराहो में निर्माणाधीन ”आदिवर्त” जनजातीय एवं लोक कला संग्रहालय के लिए पद्मश्री दुर्गा बाई नर्मदा उत्पत्ति, उसके तटों जनजीवन एवं धार्मिक महत्व के स्थानों का चित्रण अपनी शैली में कर रही हैं।यह वुडन पेंटिंग लगभग 12 बाय 150 फीट लंबी है।पेंटिंग में मप्र में नर्मदा नदी के किनारे बने मंदिर को उकेरा रहीं हैं साथ ही जनजातीय रहन-सहन को दिखाया है।

CONCLUSION

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