MP Vidhansabha Session : मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र में आज कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने विधानसभा के पीएस एपी सिंह को अविश्वास प्रस्ताव की सूचना दी। इसमें 48 विधायकों के सिग्नेचर हैं। विधानसभा में पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने कहा, स्पीकर की कुर्सी किसी दूसरे को देकर सदन चलाना चाहिए। हंगामा होने पर पहले दोपहर 12 बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इस दौरान कांग्रेस ने संसदीय कार्यमंत्री और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। साथ ही अविश्वास प्रस्ताव पर आरोप लगाया कि स्पीकर सत्ता पक्ष के दबाव में कार्यवाही कर रहे हैं। इसके बाद जब विपक्ष का हंगामा बंद नहीं हुआ तो विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही को 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया।
जीतू पटवारी के निलंबन पर हंगामा
ज्ञात हो कि, गुरुवार को स्पीकर ने कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के निलंबन का फैसला सुनाया था। इसके बाद से ही कांग्रेस के तमाम विधायकों ने पटवारी के साथ खडे़ रहकर सदन में लड़ाई लड़ने का ऐलान किया था। पटवारी के निलंबन पर कमलनाथ ने कहा, ये नहीं चाहते कि इनकी बातों का खुलासा हो। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह बोले- भ्रष्टाचार छिपाने का काम सरकार करती है, स्पीकर साथ देते हैं। संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, अविश्वास प्रस्ताव लाना ही था तो मेरे खिलाफ लाते। मूल कार्य तो संसदीय कार्यमंत्री का था।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, भ्रष्टाचार छिपाने में साथ देते हैं स्पीकर
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने अपनी गरिमा के विपरीत निर्णय लिया है। उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। शिवराज सिंह द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग में दिए उत्तर में खुद लिखा- सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया गया। भाजपा कार्यालय में जो बैठकें और सम्मेलन होते हैं, उनके लिए करोड़ों रुपए सरकारी खजाने से खर्च किए गए हैं। ये प्रजातंत्र में लूट और भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार छिपाने का काम सरकार करती है, अध्यक्ष साथ देते हैं। चोरी सरकार करे, माफी जीतू पटवारी और कांग्रेस के लोग क्यों मांगें।
चेतावनी : महिला बाल विकास विभाग के संयुक्त मोर्चा संघ ने दिया यह अल्टीमेटम
नरोत्तम मिश्रा बोले, अविश्वास प्रस्ताव संसदीय कार्यमंत्री के खिलाफ लाना था
कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव लाने के फैसले पर संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, अध्यक्ष की आंशिक भूमिका थी, मूल कार्य तो संसदीय कार्यमंत्री का था। सदन ने मतदान के बाद उन्हें (जीतू पटवारी) निलंबित किया था। अध्यक्ष ने निलंबित नहीं किया। उन्होंने तो खेद व्यक्त करने के लिए कहा था। प्रस्ताव लाना ही था तो संसदीय कार्यमंत्री के खिलाफ लाते।