भोपाल। करीब 9 माह से जारी मप्र वक्फ बोर्ड चुनाव की मशक्कत एक बार फिर गति पकड़ने की तरफ बढ़ी है। मुतावल्ली चुनाव के साथ इस कवायद को आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इस बीच योग्य और अयोग्य मतदाता मुतवल्ली का मामला सिर उठाने लगा है। खबरें आ रही हैं कि बड़ी संख्या में मुतावल्लियो को डिफाल्टर और अयोग्य करार देते हुए चुनाव प्रक्रिया से बाहर करने की तैयारी कर ली गई है। जिसके विरोध में थोकबंद मुतावल्ली अदालत का रुख करने का मन बना चुके हैं।

5 अप्रैल को होंगे चुनाव

जानकारी के मुताबिक मप्र वक्फ बोर्ड चुनाव की रुकी हुई प्रक्रिया को पुनः शुरू करने के लिए रिटर्निंग अधिकारी डॉ आईके मंसुरी ने मुतवल्ली चुनाव की तारीख घोषित की है। 5 अप्रैल को होने वाले इस चुनाव में प्रदेशभर के ऐसे मुतावल्ली मतदान करेंगे, जिनके वक्फ की सालाना आमदनी एक लाख रुपए से ज्यादा है। इस चुनाव पर पहली आपत्ति इसकी तारीख को लेकर जताई जा रही है।

कई मुश्किलें उठाना पड़ेंगी

माह ए रमजान में होने वाली इस प्रक्रिया के लिए मुतावलियों को लंबी यात्रा कर भोपाल पहुंचना होगा। साथ ही मतदान के नाम पर उन्हें रोजा, नमाज, तरावीह के लिए कई मुश्किलें उठाना पड़ेंगी। सूत्रों का कहना है कि कई मुतावल्लियों ने इस बारे में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और विभागीय अधिकारियों को सूचित किया है। साथ ही ये मांग रखी है कि जो प्रक्रिया 9 माह से रुकी हुई है, उसको एक माह और रोककर ईद बाद पूरा किया जाए।

मुतावल्ली संख्या पर भी सवाल

जानकारी के मुताबिक अदालत में घिसट रहे मप्र वक्फ बोर्ड चुनाव मामले को लेकर अदालत में करीब 126 मुतावल्ली मतदाताओं की सूची प्रस्तुत की गई थी। जिसके आधार पर अदालत ने चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा तैयार की जा रही मतदाता सूची में महज 30=35 मुतावल्लियों को ही शामिल किया गया है। कहा जा रहा है कि बाकी नामों को डिफाल्टर करार देते हुए उन्हें मतदान से वंचित किया जाने की तैयारी की जा रही है।

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सूत्रों का कहना है कि इस सूची को अंतिम रूप देने ने बोर्ड अधिकारियों से ज्यादा भूमिका इस बोर्ड के लिए नामांकित किए गए एक सदस्य द्वारा अदा की रही है। हालांकि फिलहाल ये सूची फाइनल होकर चस्पा या सार्वजनिक नहीं की गई है। लेकिन इसकी भनक लगते ही चुनाव लड़ने के इच्छुक मुतावल्ली सक्रिय हो गए हैं। सूत्रों का कहना है कि इस स्थिति के बरकरार रहने पर मतदान से वंचित सभी मुतावल्ली सामूहिक रूप से अदालत की शरण लेंगे।

नाराजगी चुनाव में मुश्किलें पैदा कर सकती है

कुछ दिनों पहले भाजपाई खेमों से ये चर्चा निकल कर आई थी कि चुनावी साल में सरकार अब निगम मंडल के खाली पदों पर नियुक्तियां नहीं करेगी। वजह यह बताई गई थी कि चार लोगों की नियुक्ति कर भाजपा 400 लोगों की नाराजगी चुनाव में मुश्किलें पैदा कर सकती है। ऐसे हालात में मप्र वक्फ बोर्ड चुनाव को हवा दिया जाना भी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करने जैसा फैसला है। सूत्रों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय से जुड़ी इस संस्था के लिए लिया गया ये फैसला उन भाजपा नेताओं को नाराज कर सकता है, जो निगम मंडल नियुक्ति के लिए अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। इधर, मुस्लिम समुदाय से जुड़े भाजपाई भी इस नियुक्ति से नाराज होकर खाली पड़े दूसरे मुस्लिम संस्थानों के खालीपन को लेकर नाराजगी जाहिर कर सकते हैं।