Bhopal News : जनजातीय कार्य विभाग के अधीन संचालित वन्या प्रकाशन के ‘रेडियो वन्या’ पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के अवसर पर विशेष प्रस्तुतियां प्रसारित की जाएंगी। प्रदेश के 8 दूरस्थ जनजातीय अंचलों में संचालित इन सामुदायिक रेडियो पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली जनजातीय महिलाओं की बायोग्राफी, इंटरव्यू और प्रेरक कहानियों का प्रसारण किया जाएगा।

भीली, कोरकू, सहरिया, बैगानी एवं गोंडी बोली में संचालित इन सामुदायिक रेडियो स्टेशन पर जनजातीय महिलाओं के जीवन के संघर्ष एवं उनकी सफलता की कहानियां सुनाई जाएंगी ताकि वे अन्य के लिए प्रेरणा बन सकें। प्रदेश के चंद्रशेखर आजाद नगर (अलीराजपुर), खालवा (खंडवा), चिचोली (बैतूल ), सेसईपुरा (श्योपुर), नालछा (धार,) चाड़ा (डिंडौरी), बिजोरी (छिन्दवाड़ा) और मेघनगर (झाबुआ) में इन सामुदायिक रेडियो स्टेशन का संचालन किया जा रहा है जिसकी फ्रिक्वेंसी 90.4 और 90.8 मेगाहर्ट्स है।

लहरी बाई ने बनाया मिलट्स बैंक

डिंडौरी जिले के सिलपिड़ी ग्राम निवासी लहरी बाई पर आधारित कार्यक्रम रेडियो स्टेशन ने तैयार किया है। बैगा लहरी बाई ने मिलट्स यानी पारंपरिक मोटे अनाजों का बैंक तैयार किया है। इस बीज बैंक में उन्होंने लुप्त हो रहे पौष्टिक मोटे अनाजों को सहेजकर उनका प्रचार-प्रसार बिना किसी बाहरी मदद के शुरू किया है। वे पारंपरिक बीजों को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं जिसके लिए उन्हें कलेक्टर द्वारा सम्मानित व पुरस्कृत भी किया गया है।

पेड़ों से चिपक कर कटने से बचाया

ग्राम पोड़ी की बैगा महिला उजियारो बाई ने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और पर्यावरण संरक्षण के लिए अनोखी पहल की है। उन्होंने पेड़ों से चिपक कर जंगल को कटने से बचाने का कार्य किया है। इसके लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है।

ताकि महिलाओं को कोई कमजोर न समझें

ग्राम आली निवासी गुलाब बाई का जीवन बचपन से ही संघर्षपूर्ण रहा। अपने पिता की इकलौती संतान होने के कारण उन्होंने दोनों परिवारों को संभाला और साथ-साथ समाज के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि महिलाओं को कमजोर ना समझें। उनके हौसले और जज्बे के कारण उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है।

पढ़ाई और नशा-मुक्ति के लिए किया प्रेरित

ग्राम बखारी निवासी कलासिया बाई खुद तो 8वीं तक ही पढ़ाई कर सकीं, लेकिन उन्होंने अन्य जनजातीय महिलाओं को पढ़ाई-लिखाई के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही उन्होंने नशा मुक्ति के लिए भी आसपास के ग्रामीणों को जागरुक किया।

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आर्थिक सशक्तिकरण की मिशाल बनीं

बूढ़ी मोरावन गांव की दख्खो बाई और बनबीरपुरा की अमोल बाई ने स्व-सहायता समूह का निर्माण किया। इससे जो आमदनी हुई उससे उन्होंने अपनी जीविका चलाने हेतु नए आयाम स्थापित किये। साथ ही अपने क्षेत्र में एक अलग  पहचान भी बनाई।