नई दिल्ली। दुनिया भर में तेजी से फैल रहे कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि ओमिक्रॉन भले ही बड़ी आबादी में तेजी से फैल रहा है पर से उतना खतरनाक प्रतीत नहीं होता जितना इससे पहले के वैरिएंट थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वैरिएंट से पीड़ित होने वाले अस्पताल में कम समय बीता रहे हैं और ठीक हो जा रहे हैं।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर (मेडिसिन) जॉन बेल ने यह दावा किया है हाल के हफ्तों में अस्पताल में भर्ती होने वाले मामलों में वृद्धि हुई है, क्योंकि ओमिक्रॉन बड़ी आबादी में फैलता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि यह रोग ‘कम गंभीर प्रतीत होता है और कई लोग अस्पताल में अपेक्षाकृत कम समय बिताते हैं’।

द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, बेल का कहना है कि तेजी से फैलने वाला ओमिक्रॉन वैरिएंट ‘वही बीमारी नहीं है, जो हम एक साल पहले देख रहे थे’।
उन्होंने कहा कि इसमें कम रोगियों को उच्च प्रवाह वाली (हाई-फ्लो) ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और ठहरने (अस्पताल में) की औसत अवधि तीन दिनों तक कम हो जाती है।

बेल ने बीबीसी को बताया, “एक साल पहले हमने जो भयानक दृश्य देखे थे, उनमें गहन देखभाल इकाइयां (आईसीयू) भरी हुई थीं, बहुत से लोग समय से पहले मर रहे थे, जो अब इतिहास बन चुका है और मुझे लगता है कि हमें आश्वस्त होना चाहिए कि यह जारी रहने की संभावना है।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि कई वैज्ञानिकों ने नए साल की पूर्व संध्या से पहले इंग्लैंड में आगे कोविड प्रतिबंध नहीं लगाने के सरकार के फैसले की आलोचना की है और कुछ ने तो इसे ‘वैज्ञानिक सलाह और कानून के बीच सबसे बड़ा फासला’ बताया है।

उन्होंने यह कहा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट बेशक से हल्का प्रतीत हो रहा है, मगर साथ ही यह चिंताजनक भी है, क्योंकि यह अत्यधिक तेजी से फैलता है, जिसका अर्थ है कि अस्पताल में मरीजों की संख्या और मौतें बिना किसी हस्तक्षेप के तेजी से बढ़ सकती हैं।

एनएचएस प्रोवाइडर्स के मुख्य कार्यकारी क्रिस होप्सन ने कहा है कि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि जब वृद्ध लोगों में संक्रमण की दर बढ़ने लगेगी तो क्या होगा।