नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद बदले हुए हालातों को लेकर एक दिन के अंतराल से भारत और पाकिस्तान में बैठकें हो रही हैं। भारत की राजधानी नई दिल्ली में बुधवार को एनएसए स्तर की सात देशों के साथ बैठक आयोजित की गई है, जिसमें रूस, ईरान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्किमेनिस्तान शामिल हुए हैं, तो वहीं पाकिस्तान में आज मीटिंग होने जा रही है। जिसमें तालिबान के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाना है। हालांकि तालिबान ने उम्मीद जताई है कि नई दिल्ली में हुई बैठक से क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने में मदद मिलेगी।
तालिबान प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने मीडिया से कहा कि तालिबान इस बैठक को एक सकारात्मक नजरिये से देखता है और उसे उम्मीद है कि इससे अफगानिस्तान में ‘शांति और स्थिरता’ लाने में काफी मदद मिलेगी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल की अध्यक्षता में भारत ने बुधवार को सात देशों के साथ वार्ता की। भारत ने इस बैठक के लिए चीन और पाकिस्तान को भी न्योता भेजा था, लेकिन दोनों देशों ने मीटिंग में आने से इनकार कर दिया।
बैठक को लेकर सुहेल शाहीन ने कहा कि तालिबान ऐसी किसी भी पहल का समर्थन करता है, जिससे उनके देश में शांति और स्थिरता लाने में सहयोग मिले, नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर बने और देश से गरीबी हटाने में सहायक हो।
शाहीन ने कहा, ‘अगर सात देशों के एनएसए ने कहा है कि वे अफगानिस्तान की जनता के लिए देश के पुनर्निमाण, शांति और स्थिरता के लिए काम करेंगे, तो बहुत अच्छा है यही तो हमारा भी उद्देश्य है। अफगानिस्तान की जनता शांति और स्थिरता चाहती है क्योंकि पिछले कुछ सालों में उन्होंने बहुत कुछ सहा है। शाहीन ने कहा, फिलहाल, हम देश में आर्थिक परियोजनाओं को पूरा करना चाहते हैं और नए प्रॉजेक्ट शुरू करना चाहते हैं। हमारे लोगों के लिए नौकरी भी चाहते हैं। इसलिए एनएसए स्तर की बैठक में जो कहा गया, हम उससे सहमत हैं।’
दिल्ली बैठक में पाकिस्तान के शामिल न होने पर सुहेल शाहीन ने कहना है कि यह किसी देश की अपनी सूझ-बूझ पर निर्भर करता है कि वह अपना क्या रुख तय करे? आप इस बारे में उनसे सीधे ही बात कर सकते हैं। सुहेल शाहीन ने कहा, जहां तक अफगानिस्तान की सरकार और जनता का सवाल है, हम शांति और स्थिरता के साथ आर्थिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करना चाहते हैं।
नई दिल्ली में आठ देशों की बैठक के बाद ‘दिल्ली डिक्लेरेशन ऑन अफगानिस्तान’ नाम से 12 प्वाइंट का घोषणा पत्र भी जारी किया गया। बैठक में शामिल सभी देश इस बात पर राजी हुए कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद को किसी तरह के संरक्षण देने, प्रशिक्षण देने, योजना या वित्तीय मदद के लिए नहीं किया जाएगा।